विहिप का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना हिंदू धर्म की रक्षा और समाज की सेवा करना है : प्रांत सहमंत्री

.विश्व हिंदू परिषद ने मनाया 60वां स्थापना दिवस

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रेवांचल टाईम्स – मण्डला, विश्व हिंदू परिषद मण्डला के द्वारा मंगलवार को झंकार भवन में स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य दिवस के अवसर पर 1964 में स्थापित विश्व हिन्दू परिषद का यह 60वां स्थापना दिवस है जिसे पूरे विश्व में भव्यता से मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता साध्वी मनीषा नंद कल्याणेश्वर महादेव मां रेवा आश्रम सिलपुरा एवं रामकृष्ण आश्रम के संचालक शारदात्मक जी महाराज रहें। साथ ही मुख्य प्रवक्ता के रूप में प्रदीप गुप्ता प्रांत सहमंत्री विश्व हिन्दू परिषद एवं विशिष्ट अतिथि के तौर पर समाजसेवी श्रीमति श्यामलता झारिया, जबलपुर विभाग मंत्री पंकज सेवात्री, वरिष्ठ समाजसेवी गणेश जसवानी, विश्व हिन्दू परिषद के जिला उपाध्यक्ष शक्ति क्षेतीजा मुख्य रूप से मंचासीन रहे। यहां पर सर्वप्रथम भगवान श्रीराम, भारत माता एवं रानी दुर्गावती के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्वालित किया गया। उपस्थित अतिथियों का भगवा वस्त्र से कार्यकर्ताओं ने सम्मान किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रांत सहमंत्री प्रदीप गुप्ता ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद की स्थापना 29 अगस्त 1964 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ पर्व पर भारत की संत शक्ति के आशीर्वाद के साथ हुआ था। विहिप का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना, हिंदू धर्म की रक्षा करना, और समाज की सेवा करना है। विश्व हिन्दू परिषद अपने जन्म के 60 वर्ष पूरे कर रहा है। 26 अगस्त को विश्व हिन्दू परिषद के 60 वर्ष पूरे हुए हैं। जिस पर पूरे विश्व भर में विश्व हिन्दू परिषद के द्वारा स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। विश्व के कल्याण के लिये हिन्दू शक्ति खड़ी हो इस उद्देश्य के लिये 29 अगस्त कृष्ण जन्माष्टमी के दिन 1964 में मुम्बई के सान्दीपनी आश्रम में चारों शंकराचार्य देश के सैकड़ों सन्त एवं गणमान्य लोगों ने विश्व हिन्दू परिषद की नींव रखी थी। भारत के लाखों गांवों और कस्बों में विहिप को एक मजबूत, प्रभावी, स्थायी, और लगातार बढ़ते हुए संगठन के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया भर में हिंदू गतिविधियों में वृद्धि के साथ, एक मजबूत और आत्मविश्वासी हिंदू संगठन धीरे-धीरे आकार ले रहा है। स्वास्थ्य-शिक्षा, आत्म-सशक्तिकरण, आदि के क्षेत्रो में 4277 से अधिक सेवा परियोजनाओं के माध्यम से विहिप हिंदू समाज की जड़ो को मजबूत कर रहा है। विश्व हिन्दू परिषद की मूल प्रकृति सेवा है। सन् 1964 में इसकी स्थापना के पश्चात् शनै: शनै: अपने समाज के प्रति स्वाभाविक प्रेम तथा आत्मीयता के आधार पर विविध प्रकार के सेवा कार्यों का क्रमिक विकास किया गया। परिषद द्वारा सेवा गतिविधियों का संचालन निश्चित उद्देश्य के अंतर्गत किया जाता है। देश के सभी भू-भागों, विशेषकर जनजातीय क्षेत्रों में धर्मांतरण रोकना तथा परावर्तन को प्रोत्साहन देना। सामाजिक समरसता के भाव को परिपुष्ट करना। अशिक्षित, पिछड़े अथवा साधनहीन समाज बांधवों का स्वाभिमान जगाते हुए उन्हें स्वावलम्बी एवं जागरूक बनाना तथा जिनकी सेवा की जाती है, धीरे-धीरे वे स्वयं सेवाकार्य करने वाले बनें यह वातावरण बनाना। यह सुखद है कि जहां विगत कुछ वर्षों से परिषद के द्वारा छात्रावास, विद्यालय तथा अन्य सेवा गतिविधियां संचालित हैं, वहां प्राय: धर्मांतरण रुका है समाज-जागरण हुआ है। कोरोना महामारी के समय में भारत के लगभग हर जिले में बड़े पैमाने पर समाज की सेवा की गयी है। 1.87 लाख लोगों को टीका, 50,000 लोगों में औषधि वितरण, 2.15 लाख लोगों में भोजन वितरण, 27,000 परिवारो में राशन वितरण, 7.50 लाख लोगों में काढ़ा वितरण, 10.000 यूनिट रक्तदान, 3.300 मृतकों का अंतिम संस्कार इत्यादि सेवा कार्यों में 375 जिलों के 1700 प्रखंडों के 3141 स्थानों पर 13747 कार्यकर्ताओं ने सेवा की। 40 स्थानों पर योगा, ध्यान, जागरूकता अभियान आदि कार्यक्रम किये गए। सेवा विभाग के अतिरिक्त अन्य आयामों के द्वारा भी सेवा के कार्य किये जाते है। कोरोना के कारण अनेक चलनेवाले सेवा केंद्र अभी तक शुरू नहीं किये जा सके हैं। वहीं साध्वी मनीषा नंद ने कहा कि गांव-गांव हिंदू समाज को संगठित करना है उसे मजबूत करना और हिंदू धर्म की सेवा, रक्षा करना है। यह सामाजिक सेवा परियोजनाओं में शामिल रहा है और हिंदू मंदिरों के निर्माण और जीर्णोद्धार को प्रोत्साहित करता रहा है। यह जाति व्यवस्था के खिलाफ है। और गोहत्या का विरोध करता है। साथ ही संगठन के उद्देश्य और लक्ष्य कुछ इस तरह तय किए गए हिंदू समाज को मजबूत करना हिंदू जीवन दर्शन और आध्यात्म की रक्षा, संवद्र्धन और प्रचार विदेशों में रहनेवाले हिंदुओं से तालमेल रखना, हिंदू और हिंदुत्व की रक्षा के लिए उन्हें संगठित करना और मदद करना विश्व हिंदू परिषद की उपस्थिति भारत के बाहर 29 देशों में है। कार्यक्रम के दौरान समाजसेवी श्रीमति श्याम लता झारिया ने रानी दुर्गावती की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके शौर्य और साहस से उपस्थित जनमानस को अवगत कराया। कार्यक्रम के दौरान कारसेवकों का भगवा वस्त्र से सम्मान किया गया। इस दौरान विभाग संगठन मंत्री अरविंद जी, जिला सहमंत्री सोनल बर्मन, रितेश कछवाहा, सुजीत सिंह ठाकुर, नितेश साहू, मितान ठाकुर, मोहित कछवाहा, रामप्रवेश बर्मन, करण सोनी, अंशुल पटेल, मनोज ताम्रकार, पप्पू रावत, हिमांशु सिंधिया, यश राज श्रीवास, वासु सिंधिया, हिमांशु, पूनम सिंधिया, उमाशंकर सिंधिया, सौरभ दुबे, आयुष्मान साहू, शुभम बरमैया के साथ समाजसेवी नीरज अग्रवाल, इन्द्रेश बब्बल खरया, सुनील मिश्रा, किशोर रजक, अशोक सोनी, आनंद सोनी, राजा शुक्ला, नितेश पटैल, प्रफुल्ल मिश्रा, अजय वंशकार, रामदास बैरागी, कन्हैया ठाकुर, सहित अनेक समाजसेवी व गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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