सीएम हेल्पलाइन बना मानसिक प्रताड़ना का केंद्र

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रेवांचल टाईम्स – जिले में सीएम हेल्पलाइन 181 जनता को मूर्ख बनाने जैसी साबित हो रही हैं एवं जांच को दबाने का सटीक फार्मूला हैl इसमें शिकायत को करना अपना समय को बर्बाद करना है lक्योंकि मंडला जिला के अधिकारी को सीएम हेल्पलाइन का कोई डर ही नहीं हैl जांच के नाम पर टाइम पास किया जाता है lएवं शिकायतकर्ता को शिकायत वापस लेने के लिए उसे पर दबाव बनाया जाता हैl एवं शिकायत को दबाने का पूर्ण प्रयास किया जाता हैl शिकायतकर्ता विपिन चक्रवर्ती के द्वारा बताया गया कि जहां एक और जिला योजना भवन में कलेक्टर महोदय के द्वारा अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि सीएम हेल्पलाइन का तत्काल करें निराकरण किंतु वास्तव में ऐसा नहीं होता अधिकारी बैठक से बाहर निकलकर एक कान से सुनकर उसे दूसरे कान से बाहर निकाल देते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है की सीएम हेल्पलाइन का निराकरण न करने से उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता उन्हें विभाग का सपोर्ट रहता है और कलेक्टर के आदेश को ठेंगा दिखाते हैंl जांच के नाम पर मात्र खानापूर्ति रहती है सही और उचित जांच इनके द्वारा आज तक नहीं किया जाता शिकायतकर्ता द्वारा सीएम हेल्पलाइन की कुछ सच्चाइयों को निम्नलिखित बातों के माध्यम से बताया गया हैl
(१) जिस विभाग की आप शिकायत करते हैं जांच के लिए इस विभाग के अधिकारी को जांचकर्ता बना दिया जाता है जिससे वह अपने विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों को बचाने का पूर्ण प्रयास करता है और उचित जांच नहीं करताl
(२) शिकायतकर्ता से बगैर पूछे…बगैर उसकी मर्जी के जाने…बगैर उसे किसी प्रकार की सूचना दिए..बगैर उसकी संतुष्टि के जाने उसकी शिकायत को काट दिया जाता हैl
(३) सीएम हेल्पलाइन में शिकायत का एक निश्चित लेवल रहता है जिसमें लेवल 1 से लेकर 4 तक शिकायतों को पहुंचना रहता है जिसके लिए दिन भी निश्चित है किंतु जांच करता अधिकारियों के द्वारा निर्धारित क्रम पर ऐसा नहीं किया जाता और कई शिकायतें जो है लेवल01 पर ही अटकी हुई हैl इनका जिम्मेदार कौन है और अधिकारी किसकी सह पर जो है मुख्यमंत्री को कुछ नहीं समझते..?
(४)जिस शिकायतों में अधिकारियों का फसना रहता है उन शिकायत में जांच के नाम पर अधिकारी जो है जवाब प्रस्तुत नहीं करते या फिर उन शिकायत को उठाकर उसे अन्य विभाग में पहुंचा देते हैं जिस विभाग की वह शिकायत ही नहीं रहती है जब उस विभाग से फोन आता है कि आपकी शिकायत जो है हमारे विभाग पर आ गई है तब उसे पुन: दूसरे विभाग में पहुंचने के लिए हमारे द्वारा प्रयास किया जाता है जिससे एक महीने दो महीने गुजर जाता है और अधिकारी इस दो महीने में शांत बैठा रहता है की जांच नहीं करना है जब हमारी शिकायत फिर से इस कार्यालय में जाती है तो अधिकारी उठाकर उसे पुन: मंडला जिला के अन्य विभागों पर पहुंचा देता है जहां से उसका कोई संबंध नहीं होता अधिकारियों को बचाने के नाम पर ऐसा भी खेल खेला जा रहा है मंडला जिला मेंl
(५) मंडला जिला के अधिकारियों के द्वारा अपनी मनमानी का प्रदर्शन करते हुए दबाव बनाया जाता है कि आप शिकायत वापस खींच ले अगर हमारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता और हम उनके जवाब से संतुष्ट नहीं होते तो सीएम हेल्पलाइन पर उनके द्वारा अपडेट किया जाता है की इनकी शिकायत को बंद कर दिया जावे और उनके द्वारा एक नया गेम खेला जाता है वह लोग शिकायत को बंद करने के लिए क्या करते हैं की जिला पंचायत सीईओ जिला कलेक्टर को एक पत्र लिखते हैं जिसे स्पेशल क्लोज पत्र कहा जाता है और इनके द्वारा विभागीय नोट सेट जारी कर यह लिख देते हैं कि हमारे द्वारा इसका निराकरण कर दिया गया है किंतु शिकायतकर्ता अपनी शिकायत वापस नहीं ले रहा है जिसे आपके द्वारा बंद कर दिया जावे अधिकारी भी इन्हीं का साथ देते हुए शिकायत को बंद कर देते हैं किंतु अधिकारियों के द्वारा यह नहीं पूछा जाता कि आखिर वह निराकरण से संतुष्ट क्यों नहीं है….?ना ही उसे कोई पत्र जारी किया जाता कि आप कार्यालय में आकर संपर्ककर वस्तु स्थिति से अवगत करावे..? इस प्रकार कई महीनो तक उसकी शिकायत चलने के बाद उसे बंद कर दिया जाता है और विभाग अपने कर्मचारियों को बचा ले जाता हैl
(6) जब आप की शिकायत पर विभाग का कोई अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया जाना होना सिद्ध होता है तो उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती जिससे परेशान होकर हम 181 पर दूसरी शिकायत करते हैं कि हमारी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है तो यह इनका एक गोल्डन अवसर होता है कि हम अपने अधिकारियों को कैसे बचाएं उसके लिए क्या करते हैं कि जब आपकी दो शिकायत एक ही बात पर होती है तो यह लोग एक शिकायत को दूसरे शिकायत से मर्ज कर देते हैं और जो शिकायत मर्ज हो जाती है उस पर कोई जांच नहीं किया जाता वह शिकायत सिर्फ जिंदा रहती है जिसे हमें देखने पर यह लगता है कि हमारी शिकायत अभी बंद नहीं हुई है और कार्यवाही चलती रहती है यह खेल होता है जबरदस्त सहायक आयुक्त जनजाति कार्यालय विभाग मण्डला में जिसका मुख्य सूत्रधार है मंसाराम पटेल जो सीएम हेल्पलाइन विभाग को डील करता है यह सामने वाले से उसे बचाने के लिए हमारी शिकायत पर शुद्ध व्यापार करता हैl
(7) मेरी अलग-अलग स्कूलों की शिकायत को एक बताकर उन्हे एक साथ मर्ज कर इनके द्वारा उक्त स्कूल के प्राचार्य के ऊपर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है और उन्हें बचाने के लिए पूर्ण प्रयास किया जा रहा है जो सरासर गलत है कि जब शिकायत अलग-अलग स्कूलों की है तो उन्हें एक बात कर कैसे आप जांच के नाम पर बच रहे हैं मुझे तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जांच को दबाने के नाम पर मंसाराम पटेल के द्वारा प्राचार्य से एक मोटी रकम वसूली गई हैl
(8) ऐसा नहीं है कि सीएम हेल्पलाइन में अधिकारी अकेले ही मिले हुए हैं अपने चाहते कर्मचारियों को बचाने के लिए इसमें सत्ताधारी पार्टी के जिला पदाधिकारी की भी मुख्य भूमिका रहती है सीएम हेल्पलाइन दबाने के लिए यह भी उनके साथ देते हैं…? जिससे अधिकारी कर्मचारियों के हौसले और भी बुलंद है तभी तो इनको सीएम हेल्पलाइन का डर ही नहीं है की सत्ताधारी पार्टी खुद उनके साथ हैl
(9) सीएम हेल्पलाइन में सिर्फ शिकायत दर्ज होने का कार्य होता है जब आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती तो आप उनको फोन करके बताते हैं कि हम इस जवाब से असंतुष्ट हैं तो उनके द्वारा स्पष्ट रूप से यह कह दिया जाता है कि आपकी शिकायत को उच्च लेवल अधिकारी के पास पहुंचा दिया जा रहा है ! सीएम हेल्पलाइन के अधिकारियों के द्वारा जांच करता अधिकारी से यह भी नहीं पूछा जाता कि आपके द्वारा गलत जवाब प्रस्तुत क्यों किया जा रहा है ..?सीएम हेल्पलाइन का काम होता है सिर्फ आपकी शिकायत दर्ज करना…जांचअधिकारी क्या कर रहा है उन्हें इन सब से कोई मतलब नहीं होता l सीएम हेल्पलाइन में फोन लगाने पर अगर उनसे कभी यह पूछा जाए कि हमारी शिकायत पर सही कार्यवाही नहीं हो रही है आप अपने उच्च अधिकारियों का नंबर दें तो उनके द्वारा स्पष्ट रूप से कह दिया जाता है की नंबर देने का काम हमारा नहीं है आप की शिकायत पर जो जांच होगी आपको पता चल जाएगाl लेकिन उनके द्वारा उस अधिकारी को फोन करके या उसके विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही पत्र जारी करके यह क्यों नहीं पूछा जाता की जब शिकायत करने वाला संतुष्ट नहीं है तो आप गलत जांच क्यों कर रहे हैं…?और उनके विरुद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई प्रस्तावित नहीं करते

अधिकारी क्यों नहीं लेते मामले को
संज्ञान में

जिस शिकायतों को जांच के नाम पर बिना संतुष्टि जाने बगैर सूचित किय अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा शिकायत को बंद कर दिया जाता है और शिकायतकर्ता के द्वारा उस शिकायत को पुन जीवित कराकर शिकायत दर्ज कराया जाता है तो अधिकारियों का फर्ज क्या बनता है कि अगर शिकायतकर्ता बार-बार शिकायत दर्ज कर रहा है और निराकरण से संतुष्ट नहीं है तो उस मामले को संज्ञान में लिया जाए और उसे पर विधिवत निराकरण किया जाए लेकिन ऐसा उनके द्वारा क्यों नहीं किया जाता और स्पेशल क्लोज करके शिकायत को बंद कर शिकायतकर्ता का समय बर्बाद किया जाता है जिससे वह खुद परेशान होकर शिकायत करना बंद कर दे और अधिकारियों के मन का हो जाए कि अब तो इसकी शिकायत ही नहीं है अब किस बात की जांच की जावेl तो ऐसी सीएम हेल्पलाइन किस काम की जिसमें निराकरण ही नहीं होता और अधिकारी कर्मचारी अपनी वाहवाही लूटते हैं कि हमारे द्वारा इतने शिकायत का निराकरण कर दिया गया l किंतु जिन सिकायत का निराकरण आज तक नहीं हुआ है जिनके 2 साल 3 साल हो गए हैं आखिर जिले के आला अधिकारी उन बातों को गंभीरता से क्यों नहीं लेते और क्यों इस फाइलों को अपनी टेबल पर नहीं बुलवाते आखिर इनका क्या निजी स्वार्थ है शिकायत को दबाने मेंl एक और जहां अधिकारी निराकरण करने वाले अधिकारियों को सम्मानित करते हैं तो जांच को दबाने वाले अधिकारियों के ऊपर भी कार्यवाही क्यों नहीं करते…? इनका भी सम्मान करें तभी तो हम जाने की अधिकारी जो है न्याय में चल रहा है!

अधिकारियों के ऊपर नहीं होती कोई कार्यवाही

यदि सीएम हेल्पलाइन में अधिकारी उचित जांच नहीं करता तो इसके लिए उनके ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई प्रस्तावित नहीं है इसलिए इनको किसी प्रकार का कोई भय नहीं है कि अगर हम शिकायतकर्ता की जांच को बगैर उसकी संतुष्टि जाने …बगैर उसकी मर्जी के जाने बंद भी कर देते हैं तो क्या होगा..क्योंकि अधिकारी स्वयं उनका साथ दे रहा है यदि उन पर एफआईआर दर्ज करता तो यह सब इस प्रकार की हरकत करना बंद कर देते किंतु अधिकारी के द्वारा ऐसा नहीं किया जाता उन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होती इसलिए मुख्यमंत्री की ऐसी लाइन को जिले में अधिकारी अब अपने मनमाने तरीक़े से डील कर रहे हैं!

जनजाति कार्य विभाग मंडला में इसका चलता है शुद्ध व्यापार

मंडला जिले सहायक आयुक्त कार्यालय जनजाति विभाग मंडला सीएम हेल्पलाइन की धज्जियां उड़ाने में सर्वप्रथम एवं अग्रणी है क्योंकि यहां शिक्षा विभाग में जमकर गोलमाल हैl जिसकी शिकायत करना अधिकारियों का व्यापार हो जाता है यहां शिकायतकर्ता की शिकायत पर जांच ना कर दोषियों के साथ मिलकर मामले को दबाने के लिए शुद्ध लेनदेन का व्यापार होता है जिसकी शुरुआत होती है सेटअप जमाने में मंसाराम पटेल से जो सीएम हेल्पलाइन को दबाने में और आरोपियों को बचाने में जमकर मदद करता हैl

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