जिले मे संलग्नीकरण बनी शिक्षा विभाग के लिए बनी जटिल समस्या
हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी विद्यालयों में प्राचार्य के अनेकों पद रिक्त शिक्षा विभाग में खुला चल रहा है अबेध वसूली का खेल बच्चों की शिक्षा हो रही चौपट,
रेवांचल टाईम्स मण्डला – एमपी हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2022 को खारिज कर दिया था. जज ने सरकारी विभागों में कर्मचारियों की योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन देने का फैसला सुनाया था. तत्कालीन शिवराज सरकार को डर था, कि प्रमोशन में आरक्षण खत्म होने से एसी-एसटी का वोट बैंक हाथ से निकल सकता है. ऐसे में सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. तब से न तो एससी-एसटी को प्रमोशन मिल रहा और न ही ओबीसी और सामान्य को। तब से हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी विद्यालयों में प्राचार्य के अनेकों पद रिक्त पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय,वल्लभ भवन, भोपाल के ज्ञाप क्रमांक एफ 6- 2 / 2012 / एक / 9
भोपाल, दिनांक18/1/2000, 3/5/2000 ;21/7/2000 और 25/05/2013 जो कि
समस्त अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव / सचिव, गध्यप्रदेश शासन के समस्त विभाग, मध्यप्रदेश को संबोधित करते हुए संलग्नीकरण समाप्त किये जाने के संबंध में कहा है। और यह निर्देश दिए गए हैं कि सभी प्रकार के संलग्नीकरण तत्काल समाप्त किये जाये। कृपया उक्त निर्देशों का पालन सुनिश्चित हो।
मध्य प्रदेश शासन के इन नियम और निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। चंद पैसों के लालच में अधिकारी शिक्षक संवर्ग के लोगों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों से शहर या शहर के समीपस्थ स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य बनाकर संलग्नीकरण करते आ रहे है। जिस पर अभी तक कोई भी लगाम नहीं लगा पाया है ,और इसका खामीयाजा ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। होना तो यह चाहिए कि जिस विद्यालय में प्राचार्य का पद खाली है, वहीं के वरिष्ठ शिक्षक को प्रभारी बनाकर बना दिया जाता तो अध्यापन के साथ-साथ प्राचार्य का कार्य भी आसानी से संपन्न हो पता। परंतु अन्य विद्यालय के व्याख्याता को दूसरे विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य बनाकर जहां एक ओर उन्हें शिक्षण कार्य से मुक्त किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर उनके स्थान पर रिक्त पड़े पद पर उन विषयों की पढ़ाई में व्यवधान आ रहा है। गलत तरीके से पद रिक्त बता कर उनके स्थान पर अतिथि शिक्षक रखकर शासकीय राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। जिला प्रशासन से अपेक्षा की जाती है कि संलग्नीकरण का यह खेल तत्काल बंद किया जाए एवं समस्त प्रकार के संलग्नीकरण समाप्त किए जाएं। शिक्षकों को उनकी मूल पद स्थापना वाले स्थान पर वापसी की जाए। तभी शिक्षा के अधिकार अधिनियम का औचित्य लोगों को समझ में आएगा। अभी कुछ दिनों से उच्च पद प्रभार एवं अतिशेष का खेल भी जारी है। जिसके कारण जहां एक ओर शिक्षक हलाकान है तो वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। अतिशेष की सूची का बार-बार बनाया जाना प्रशासनिक कार्यप्रणाली को दर्शाता है। नियम विरुद्ध किए गए स्थानांतरणों एवं संलग्नीकरण के कारण सीधे-साधे शिक्षक परेशान हो रहे हैं। पहले किसी भी बहाने से संलग्न करना फिर चुपचाप एल पी सी जारी कर देना यह कहां तक उचित है। इन सभी मामलों की सूक्ष्मता से जांच की दरकार है।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में खुला लेन देन किया जा रहा है और अति शेष और अटेच स्नलग्नीकरण के नाम पर शिक्षको से खुली वसूली की जा रही है और ज़िले की शिक्षा व्यवस्था दिन वि दिन चौपट होते जा रही है इसका ज़िम्मेदार कौन क्यों जिन स्कूल में बच्चे है वहाँ पर शिक्षक नहीं है अतिथि टीचर के भरोसे स्कूल चल रहे और जब नये सहायक आयुक्त ने अपना पद भार ग्रहण किया है जब से शिक्षा विभाग में उथल पुथल मची हुई कि अब कहा कहा और किस किस से ख़िलाफ़ अभियान चलेगा देखना बाक़ी हैं!