अनुसूचित क्षेत्रो में स्वशासन की स्थापना हेतु मलांजखण्ड घोषणा पत्र

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, ज़िले में संविधान की पांचवी अनुसूची, पेसा अधिनियम एवं वन अधिकार मान्यता कानून और आदिवासी अधिकारों पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला (परिचर्चा) पर आधारित दिनांक 15.09.2024

भारतीय संविधान की पाँचवी अनुसूची वाले राज्य – मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्रप्रदेश, ओड़िसा, तेंलगाना, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी और जन संगठनो के प्रतिनिधियों द्वारा मध्य प्रदेश राज्य के बालाघाट जिला के मलांजखण्ड में 14-15 सितम्बर 2024 को संपन्न राष्ट्रीय सम्मेलन में यह माना कि पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 और वनाधिकार (मान्यता) कानून 2006 की मूल भावना के अनुरूप व्यवस्था बनाने में अनेक विसंगतियों और कमियों के कारण कठिनाई सामने आ रही है।
इन विसंगतियों को दूर कर अनुसूचित क्षेत्रो में स्वशासन और सुशासन की स्थापना हेतु सुसंगत ढांचा तैयार करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाया जाना अनिवार्य है। अनुसूचित क्षेत्रों में स्वशासन और सुशासन तभी कायम होगा जब इस घोषणापत्र के निम्नलिखित बिन्दुओं पर कार्यवाही होगी :-
1. भारत सरकार राष्ट्रीय जनजातीय नीति और सभी राज्य सरकारें अपनी जनजातीय नीति घोषित करेगी।
2. ट्राइबल सब प्लान के क्रियान्वयन के लिए केंद्र तथा सम्बंधित राज्य सरकार द्वारा एक वर्ष के अन्दर अलग से कानून बनाया जायेगा।
3. पांचवी अनुसूची क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी विभागों का नोडल विभाग आदिवासी कल्याण विभाग को बनाया जायेगा तथा पेसा कानून का नोडल विभाग भी आदिवासी कल्याण विभाग को बनाया जायेगा।
4. विशेष पिछड़ी जनजाति के स्वयं शासित विकास के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा क्षेत्रीय स्वशासी परिषद् स्थापित किये जायेंगे।
5. राष्ट्रीय उद्यान / टाइगर रिज़र्व क्षेत्र / अभ्यारण्य में से किसी भी प्रकार के विस्थापन पर तत्काल रोक लगा कर और वहां पर सभी प्रकार के वन अधिकारों को मान्य किया जायेगा।
6. अनुसूचित क्षेत्रों के लिए आंध्रप्रदेश अनुसूचित क्षेत्र भू-हस्तांतरण विनियमन कानून 1970 (संशोधित) की तर्ज पर सभी राज्यों की भू-राजस्व संहिता में समुचित संशोधन किया जायेगा।
7. अनुसूचित क्षेत्रों के लिए प्रशासनिक तंत्र की भर्ती / नियुक्ति / सेवा हेतु पृथक लोक सेवा आयोग का गठन किया जायेगा जिसमे अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित क्षेत्र के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी। अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी व्यक्ति को स्थानांतरित करने से पहले उन्हें तीन माह की भाषा और संस्कृति पर प्रशिक्षण दिया जायेगा।
8. भारत के सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों की उन सभी बसाहटों और गावों को, जहाँ पर 1961 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की जनसंख्या 40 प्रतिशत से ज्यादा है, अनुसूचित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया जायेगा तथा उन सभी क्षेत्रों को लेकर अनुसूचित क्षेत्रों में नए जिले बनाए जायेंगे ताकि हर जिले में आदिवासियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक रहे।
9. जिन क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया है उन्हें किसी भी परिस्थिति में गैर अनुसूचित क्षेत्र में परिवर्तित नहीं किया जायेगा।
10. भारत के अनुसूचित क्षेत्रो पर लागू राज्य पंचायत राज कानूनों को रद्द कर संविधान और पेसा कानून सम्मत राज्य अधिनियम / नियम को बनाया जायेगा। (पेसा कानून की धारा 4)।
11. पेसा कानून की धारा 4(घ) के तहत ग्राम सरकार एवं स्वशासी जिला सरकार का गठन करते हुए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अधिकार उन्हें हस्तांतरित किया जायेगा तथा संविधान के अनुच्छेद 243 (छ), 243 (ज) एवं 275(1) के अंतर्गत उन्हें समस्त निधि के प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण हेतु सक्षम बनाया जायेगा ताकि स्वायत्त शासन की संवैधानिक भावना चरितार्थ हो।
12. पांचवी अनुसूची के क्षेत्रो में ग्राम सरकार और स्वशासी जिला सरकार की सहमति के बिना सैन्यकरण प्रतिबंधित होगी। (Article 30 of UNDRIP: 13-09-2007)
13. पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्रों में वन का प्रबंधन स्थानीय ग्राम सभा / सरकार के नियंत्रण और प्रबंधन में रखा जायेगा और इससे संगत संशोधन भारतीय वन कानून 1927, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनयम 1972 और वन संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 1980 में किया जायेगा।
14. पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्रो की ग्राम सभाओं को स्थानीय समाज की परंपराओं और रूढ़ियों के अनुसार विवाद निपटाने हेतु सक्षम न्यायालय के रूप में अधिसूचित किया जायेगा ताकि पुलिस या प्रशानिक तंत्र ऐसे मामलो का निराकरण करने हेतु संबंधित प्रकरणो को ग्राम सभाओं के समक्ष प्रस्तुत करें। अपील के लिए भूरिया समिति की सिफारिश के अनुसार प्रावधान बनाए जायेंगे।
15. अनुसूचित क्षेत्रों की स्वशासी जिला परिषद् के सचिव का दायित्व द्वितीय प्रशानिक सुधार आयोग (2009) की अनुशंसा के अनुसार कलेक्टर को सौंपा जायेगा।
16. संविधान की 11वीं अनुसूची को पेसा कानून से संगत बनाते हुए उसमें जल, जंगल और खदान तथा न्याय निष्पादन विषय जोड़े जायेंगे।
17. वन अधिकारों की मान्यता कानून के तहत सामुदायिक अधिकार (CR) / सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFR) मान्य करते हुए ग्राम सरकार का गठन तथा जिला एवं उपखंड स्तर पर स्वशासी सरकार गठित किया जायेगा।
18. पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के अन्तर्गत शहरी क्षेत्रो पर विस्तार हेतु नगर निगम / नगरपालिका / नगर पंचायत के गठन के बाद भूरिया समिति की सिफारिश के अनुरूप कानून बनाकर उसे अविलंब लागू किया जायेगा। जब तक यह व्यवस्था नही बनती ऐसे क्षेत्रों में पेसा कानून 1996 से सुसंगत प्रावधान लागू किये जायेंगे।

इस घोषणापत्र के क्रियान्वयन हेतु निम्नलिखित कार्यवाही की जाएगी :
1.पांचवी अनुसूची वाले सभी राज्यों के राज्यपाल, जनजातीय मंत्रणा परिषद् और भारत के राष्ट्रपति को इस घोषणापत्र की एक प्रति प्रेषित की जाएगी।
2.इस घोषणापत्र को जमीनी हकीकत में क्रियान्वित करने हेतु उपरोक्त सभी राज्यों के प्रतिनिधि द्वारा राज्य समितियां गठित कर उन्हें समुचित कार्यवाही हेतु अधिकृत किया जायेगा।
3.इस घोषणापत्र को लागू करवाने सामाजिक कार्यकार्ताओं का कार्यदल बनाकर उनका स्त्रोत प्रशिक्षण और क्षमता विकास प्रारंभ किया जायेगा।
4.इस घोषणापत्र पर क्रियान्वयन हेतु क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर सचिवालय / प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगें और ज्ञान वर्धन के लिए पुस्तकालय स्थापित किये जायेंगे।
5.घोषणा पत्र क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा हेतु कार्यदल की त्रैमासिक बैठकें सतत रूप से आयोजित की जाएगी।
संजीव उईके (9425138581)
विधायक, बैहर, बालाघाट
द्रोप किशोर मरावी (6266314541)
अध्यक्ष, रूढि प्रथा पारम्परिक गांव गणराज्य ग्राम सभा

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