बीएमओ नैनपुर ने सिविल अस्पताल को बनाया रेफर सेंटर मरीज को रेफर करने तक सिमटी डॉक्टर की जिम्मेदारी
शासकीय संस्थान को गर्त में ले जाने पर तुला एक परिवार
रेवांचल टाईम्ड – मंडला ज़िले में स्वास्थ व्यवस्था ज़र से जर्जर हो ती जा रही है सरकारी अस्पतालों में केवल ओपचारकिता निभाई जा रही है मरीजो ईलाज नहीं मिल पा रहा है पदस्थ ड्राक्टर और बाक़ी स्टाप केवल ऊपरी चेकप कर मुख्यालय रिफर कर रहे है!
वही जानकारी के अनुसार सिविल अस्पताल नैनपुर की कार्यशैली यूं तो जगजाहिर है, इसके बावजूद गाल बजाने में कोई कमी नहीं बरती जा रही है।
फिलहाल नियमविरुद्ध बीएमओ बने डॉ राजीव चावला ने सिविल अस्पताल नैनपुर को रेफर सेंटर बना कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना सीख लिया है,
प्रसूति चिकित्सक होने के बावजूद गर्भवती को होना पड़ता है परेशान
अस्पताल में राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के अंतर्गत डॉ कामना चावला को प्रसूति चिकित्सक के रूप में पदस्थ किया गया है, किंतु परिवारवाद के चलते नियम न होते हुए भी लगातार अनुपस्थित रहने के बावजूद आज तक न कोई कार्यवाही हुई न ही इनकी कार्यशैली में कोई सुधार आया।
डॉ कामना चावला ने अपने कार्य को मात्र कुछ घंटे सामान्य जांच करने तक सीमित कर लिया है, सामान्य प्रसूति जैसी स्थिति में भी परिजन को डरा कर जिला अस्पताल या निजी अस्पताल जाने मजबूर किया जाता है ताकि डॉक्टर साहिबा को परेशानी न हो।
निश्चेतना विशेषज्ञ हो चुके है लापता
जानकारी अनुसार डॉ रामावतार साहू को निश्चेतना विशेषज्ञ के रूप में सिविल अस्पताल नैनपुर में पदस्थ किया गया है किंतु 3 माह में मात्र कुछ दिन ही अस्पताल में उपस्थित दिखे फिर अचानक गायब हो गए जिनका आज तक कोई पता नहीं है,
सूत्रों के अनुसार डॉक्टर साहब को घर बैठे पूरा वेतन दिया जाता है क्यों कि अगर उनकी उपस्थिति लगातार नैनपुर में रहने लगी तो डॉ कामना चावला को नैनपुर में सर्जरी करने मजबूर होना पड़ेगा।
भैया भय कोतवाल तो डर काहे का
डॉ राजीव चावला कोई और जिम्मेदारी निभाए या न निभाए लेकिन भ्राता होने का फर्ज बहुत अच्छे से निभा रहे है, इसका जीता जागता उदाहरण नगर में संचालित उनके परिवार का निजी नर्सिंग होम है, ब्रजेश चावला जो बी एच एम एस है, को खुली छूट दे दी गई है वो भी नियम को ताक में रख कर एलोपैथी विधि से भोले भाले आदिवासी मरीजों का इलाज बेधड़क कर रहे है। समय समय पर लोगों के द्वारा शिकायत भी की जाती रही है और शासन द्वारा अवैध तरीके से संचालित निजी नर्सिंग होम और क्लीनिक में कार्यवाही करने आदेश भी दिए जाते है किंतु परिवार के प्रति स्नेह और पैसे की हवस ने इनको अंधा बना दिया है। अस्पताल में सामान्य समस्या के मरीज को बहला फुसला कर निजी नर्सिंग होम में जाने प्रेरित किया जाता है पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद सिविल अस्पताल में सामान्य समस्या के मरीज को रेफर किया जाता है ताकि वह मजबूरन निजी नर्सिंग होम जाए।
बीएमओ के सुख के चक्कर में चकरी बना मरीज
वही संचालनालय स्वास्थ्य विभाग ने आमजन के बेहतर स्वास्थ और संसाधन के पूर्ण उपयोग को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञ चिकित्सक को किसी भी प्रशासनिक कार्य से दूर रखने का आदेश जारी किया था, किंतु मंडला जिले की भोली भाली जनता को अंधेरे में रख कर जिम्मेदार अधिकारियों ने मध्यप्रदेश शासन को ठेंगा दिखा कर नियम विरुद्ध डॉ राजीव चावला जो पैथालॉजिस्ट है को बीएमओ नियुक्त कर दिया, जिसका खामियाजा आज सिविल अस्पताल पर निर्भर मरीज को भोगना पड़ रहा है, शासन ने सिविल अस्पताल को सुसज्जित और संसाधन पूर्ण पैथालॉजी का उपहार दिया किंतु बीएमओ साहब ने उसे गर्त में ले जाने की ठान ली है आज न अस्पताल में पूरी जांचे की जाती है न ही 1 यूनिट भी रक्त उपलब्ध रहता है और तो और अगर आप अपने मरीज के लिए रक्त उपलब्ध करवा भी लेते है तो क्रॉस मैच के नाम जिला अस्पताल मंडला के चक्कर लगवाए जाते है जबकि यह सुविधा नैनपुर सिविल अस्पताल में उपलब्ध है।
निजी स्वार्थ के चलते शासकीय अस्पताल को बर्बाद करने में उतारू हुए बीएमओ
यूं तो शासन ने पूर्व में साफ हिदायत दे चुका है कि राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन अंतर्गत नियुक्त चिकित्सक अपनी निजी क्लीनिक का संचालन नहीं कर सकते बावजूद इसके सिविल अस्पताल नैनपुर में पदस्थ प्रसूति चिकित्सक एवं वर्तमान बीएमओ द्वारा शासन के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए निजी क्लीनिक और पैथालॉजी का संचालन बेधड़क कर रहे है और निजी लाभ को प्राथमिकता देते हुए सिविल अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं से मरीजों को वंचित रख रहे है ताकि मरीजों को मजबूरन इनके निजी संस्थान जाना पड़े और अंधा लाभ कमाया जा सके।