राष्ट्रीय मछुआरा सम्मेलन में बरगी के मछुआरों ने शिरकत किया

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, नेशनल फेडरेशन ऑफ स्माल स्केल फिश वर्कर्स फोरम की बैठक दिनांक 15- 16 नंवबर 2024 को सेवा केन्द्र कोलकाता में किया गया है।इस बैठक में उङीसा, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्रप्रदेश, कश्मीर,तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक बिहार, मध्यप्रदेश आदि राज्यों के मछुआरा प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।मध्यप्रदेश से सरदार सरोवर और बरगी बांध के प्रभावित मछुआरे प्रतिनिधि शामिल हैं। इस फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप चटर्जी ने बताया कि सितम्बर 2016 में स्वच्छ पानी में मछली पालन ( इंलेन्ड फिशरीज) करने वाले छोटे मछुआरों के लिए संगठन बना और इनके अधिकारों के लिए नीतिगत हस्तक्षेप शुरू हुआ।2020 में समुद्री मछली पकड़ने ( मेरिन फिशरीज) वाले छोटे मछुआरों की विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए उन्हें भी शामिल किया गया।आपने कहा कि जलवायु परिवर्तन संकट और समुन्द्र किनारे बंदरगाह जैसी बङी विकास परियोजनाओं के कारण समुद्री और नदीयों में कार्यरत मछुआरों की आजीविका संकट में है।
मुन्ना बर्मन, जितेंद्र मांझी, हेमेन्द्र मंडलोई, शारदा यादव और राज कुमार सिन्हा ने मध्यप्रदेश में मछुआरों की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत किया। रिपोर्ट में बताया गया कि मध्यप्रदेश राज्य मत्स्य महासंघ (सह.) मर्यादित द्वारा 7 बङे और 19 मझौले कुल 26 जलाशयों का नियंत्रण किया जाता है, जिसका कुल क्षेत्रफल 2.29 लाख हेक्टेयर है।पूर्व में राज्य मत्स्य विकास निगम को समाप्त कर मध्यप्रदेश राज्य मत्स्य महासंघ के माध्यम से कार्य का संचालन का उद्देश्य था कि जलाशय और मछुआरा विकास के लिए स्थानीय सक्रिय मछुआरा प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए समस्त गतिविधियां उनके अनुसार संपादित किया जाए।परन्तु मत्स्य महासंघ का दो दशकों से अधिक वर्षों से चुनाव नहीं हुआ है और केवल प्रशासक के माध्यम से कार्य संपन्न कराया जा रहा है । इन जलाशयों में मत्सयाखेट करने वाले हजारों मछुआरा परिवारों की आर्थिक और समाजिक स्थिति बहुत कमजोर है। मध्यप्रदेश राज्य मत्स्य महासंघ द्वारा मछली पकड़ने की मजदूरी दर बहुत ही कम रखा गया है, जो इस महंगाई में अपर्याप्त है।15 जून से 15 अगस्त के बंद ऋतु बाद तत्काल मत्सयाखेट कार्य शुरू नहीं किया जाना,अधिकांश मछुआरों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलना, जलाशय का ठेका लेने वाले ठेकेदारों की मनमानी आदि समस्याओं से मछुआरा परेशान है। ज्ञात हो कि जिला पंचायत के 79 और ग्राम पंचायतों के अन्तर्गत 3484 तालाब हैं। प्रदेश में 3.56 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र (जिसमें राज्य मत्स्य महासंघ के 26 जलाशय, पोखर और तालाब शामिल है) है, इसमें से 3.49 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र में मछली पालन किया जाता है।मत्स्य बीज उत्पादन, प्रजनन, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण इत्यादि आवश्यकताओं के लिए मत्स्योद्योग विभाग द्वारा 12854 हेक्टेयर 44 तालाबों को नियंत्रण में रखा है।
मुन्ना बर्मन(8435931972)
ग्राम- पिपरिया ( खम्हरिया )
नारायणगंज, मंडला

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