सिविल अस्पताल नैनपुर: गर्भवती महिलाएं भगवान भरोसे, स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल
बीएमओ की लापरवाही से सरकारी योजनाएं हो रही विफल, जिला प्रशासन को दी जा रही भ्रामक जानकारी
नैनपुर (मंडला), दैनिक रेवांचल टाइम्स – सरकार गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित मातृत्व सेवा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना, सुमन योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना जैसी कई योजनाएं संचालित कर रही है। इन योजनाओं का उद्देश्य माताओं और नवजात शिशुओं को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। लेकिन सिविल अस्पताल नैनपुर में व्यवस्थाओं की बदहाली और चिकित्सा अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये योजनाएं कागजों तक ही सीमित रह गई हैं।
100 बिस्तरों का अस्पताल, पर महिला विशेषज्ञ नहीं!
100 बिस्तरों वाले सिविल अस्पताल नैनपुर में एक भी महिला रोग विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है। सरकारी रिकॉर्ड में अस्पताल में एक प्रसूति विशेषज्ञ और तीन अन्य महिला चिकित्सकों की नियुक्ति दर्ज है, लेकिन वास्तविकता यह है कि गर्भवती महिलाओं को पुरुष डॉक्टरों से ही अपनी जांच करानी पड़ रही है। यह न केवल शर्मनाक है बल्कि महिलाओं की गरिमा और निजता का भी हनन है।
सूत्रों के अनुसार, दो महिला चिकित्सकों के पारिवारिक संबंध बीएमओ से होने के कारण वे मनमर्जी से अनुपस्थित रहती हैं। वहीं, अनुबंधित महिला चिकित्सकों को बिना छुट्टी के रोज़ अस्पताल में सेवाएं देनी होती हैं, लेकिन बीएमओ की विशेष कृपा से वे केवल हफ्ते में एक दिन ही आती हैं।
“मैडम नहीं आएंगी, प्राइवेट में दिखा लो” – नर्सिंग स्टाफ का बेशर्मी भरा रवैया
आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण अधिकांश हितग्राही स्वास्थ्य सेवाओं और अपने अधिकारों के बारे में अनजान रहते हैं। इस स्थिति का फायदा उठाकर नर्सिंग स्टाफ लापरवाह रवैया अपनाए हुए है। जब कोई महिला मरीज डॉक्टर के न आने की शिकायत करता है, तो जवाब मिलता है – “मैडम नहीं आएंगी, ज्यादा तकलीफ है तो प्राइवेट में दिखा लो।”
यदि कोई ज्यादा सवाल पूछता है, तो उन्हें जिला अस्पताल रेफर करने की धमकी दे दी जाती है। इससे न केवल मरीजों को मानसिक परेशानी होती है बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है।
बीएमओ की मनमानी: शासन के आदेशों की खुलेआम अवहेलना
नैनपुर के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव चावला की कार्यशैली को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। उनकी प्रशासनिक अनदेखी और मनमानी के चलते अस्पताल की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। भोपाल स्थित संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं के आदेशों के विपरीत बीएमओ अपनी मनमर्जी से अस्पताल के संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं।
उन पर आरोप है कि वे निश्चेतना विशेषज्ञ, मेडिसिन विशेषज्ञ, प्रसूति विशेषज्ञ और अनुबंधित चिकित्सकों को अनावश्यक अवकाश देकर करोड़ों की सरकारी संपत्ति को निष्क्रिय बना रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग यदि इस कमीशनखोरी और लापरवाही पर अंकुश लगाए, तो सिविल अस्पताल नैनपुर को किसी निजी अस्पताल के बराबर सेवाएं देने योग्य बनाया जा सकता है।
सरकार और प्रशासन मौन, जनता परेशान
जनता स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए त्रस्त है, लेकिन प्रशासन इस ओर आंखें मूंदे बैठा है। आमजन की चुप्पी और प्रशासन की निष्क्रियता के चलते सिविल अस्पताल में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। सवाल यह उठता है कि –
- क्या सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेंगी?
- गर्भवती महिलाओं और मरीजों की समस्याओं का समाधान कौन करेगा?
- क्या जिला प्रशासन इस गंभीर लापरवाही पर कोई ठोस कार्रवाई करेगा?
