दुल्लोपुर स्टॉपडैम जीर्णोद्धार में लापरवाही, तकनीकी अमला सवालों के घेरे में
मरम्मत कार्य में भी अनियमितताएँ, भ्रष्टाचार के आरोप गहराए
बजाग (दैनिक रेवांचल टाइम्स)। जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत दुल्लोपुर में दो वर्ष पूर्व लाखों की लागत से निर्मित चेकडैम पहली ही बरसात में ध्वस्त हो गया था। अब इसके पुनर्निर्माण में भी तकनीकी अमले की लापरवाही खुलकर सामने आ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि मरम्मत के नाम पर केवल लीपापोती की जा रही है और घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग जारी है।
पहले ही साल बह गया था डेम
वर्ष 2021-22 में मनरेगा मद से 14 लाख रुपये की लागत से सुहई नदी पर यह चेकडैम बनाया गया था। निर्माण के कुछ ही महीनों बाद इसमें दरारें उभरने लगी थीं, लेकिन तकनीकी अमले ने इसे नजरअंदाज कर दिया। नतीजतन, बारिश के दौरान स्टॉपडैम दो हिस्सों में बंट गया और बीच का हिस्सा पानी में समा गया। घटिया निर्माण की पोल खुलते ही जनपद का तकनीकी अमला सवालों के घेरे में आ गया था।
अब मरम्मत में भी लापरवाही
डेम के बहने के बाद अब इसका पुनर्निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इस बार भी निर्माण मानकों की अनदेखी हो रही है।
- एप्रॉन (डेम के आधार का हिस्सा) को पुराने डिजाइन से अलग तरीके से बनाया जा रहा है।
- कंक्रीट की दीवार बिना सरिया के ही खड़ी की जा रही है, जिससे इसकी मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- मसाले में मिट्टी युक्त गिट्टी का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता संदेहास्पद हो गई है।
- दरारों को सिर्फ रेत और सीमेंट के मिश्रण से ढकने का काम किया जा रहा है, जिससे यह निर्माण ज्यादा दिनों तक टिकने की संभावना नहीं है।
उसी उपयंत्री को फिर मिला निर्माण कार्य
डेम निर्माण के समय तत्कालीन उपयंत्री सुनील धुर्वे की देखरेख में घटिया निर्माण हुआ था। हैरानी की बात यह है कि अब फिर से उसी अधिकारी को डेम की मरम्मत की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। सवाल यह उठता है कि जो इंजीनियर पहले ही फेल हो चुका है, क्या उससे गुणवत्तापूर्ण पुनर्निर्माण की उम्मीद की जा सकती है?
प्रशासन ने दिए जांच के निर्देश
सूत्रों के अनुसार, जनपद सीईओ को जब इस मामले की जानकारी लगी, तो उन्होंने सहायक यंत्री को मौखिक रूप से जांच के निर्देश दिए हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि जब तक इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक सरकारी धन की बर्बादी और भ्रष्टाचार यूँ ही जारी रहेगा।
