धड़ल्ले से आरओ के नाम पर बिक रहा शीतल पेयजल नहीं हो रही किसी भी प्रकार की जांच, हर माह लाखो का कारोबार

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, गर्मी के मौसम की शुरूआत होते ही शहर में मिनरल वाटर के नाम पर लोगों को कुछ प्लांट संचालित करने वाले चिल्ड वाटर दे रहे हैं। आरओ के नाम पर नगरवासी भी धोखा खा रहे हैं। शुद्ध पानी समझकर उपयोग में लेने वाले को यह भी पता नहीं,की जो उन्हें पीने के लिए पानी मिल रहा हैं वह शुद्ध हैं भी या नहीं।
यहां नगर पालिका के पास तक पानी की शुद्वता की जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही किसी प्रकार से नगर में आरओ के प्लांटो की जांच की जा सके।
बताया गया है कि शहर में प्रतिदिन एक हजार से अधिक पानी की केन घर, दुकानों, सरकारी व प्राइवेट ऑफिसों और बाजार में सप्लाई हो रही हैं। इससे हर महीने छह से दस लाख से अधिक का कारोबार हो रहा हैं। लोग इस पानी को शुद्ध मानकर पी रहे हैं। लेकिन इसकी शुद्धता की कोई ग्यारंटी नहीं हैं। शहरवासियों के स्वास्थ्य को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई की जा रही है और ना ही अभी तक किसी भी प्रकार से जांच की गई है। इस वजह से आरओ प्लांट के मालिक अपनी मन मानी कर रहे हैं।

20 से 30 रूपए प्रति केन

नगर में आरओ प्लांट हैं जो रोज एक हजार से ज्यादा केन 20 लीटर क्षमता वाली सप्लाई कर रहे हैं। 20 लीटर वाली पानी की केन के 25 से 30 रुपए तक लेकर रोज घरो, ऑफिसों व प्रतिष्ठानों के साथ ही शादी के कार्यक्रमों में मेरिज गार्डन पर पहुंचाई जाती हैं। जहां तक पानी की गुणवत्ता का सवाल हैं, तो इस बारे में यहां कोई भी कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं। नगरपालिका के पास पानी की जांच के लिए कोई अधिकारी ही नहीं हैं। इसी कारण मिनरल वाटर के नाम पर बिक रहे आरओ या फिल्टर पानी की जांच नहीं होती।

नपा खुद पीएचई के भरोसे

बताया गया है कि पानी की शुद्वता जांचने के लिए नगर पालिका के पास कोई संसाधन और लैब नहीं है। जो पानी नगर पालिका के द्वारा सप्लाई किया जा रहा है। उसकी जांच भी पांच छह माह में एक बार पीएचई की लैब से कराया जाता है। इधर नगर में भूजल स्तर क्लोराइड व फ्लोराइड की अधिक मात्रा है इस पानी को सीधे पीने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसके लिए नर्मदा नदी का पानी ट्रीट किया जाता है। यहां अभी तक आरओ प्लांट के जल स्रोत्र के बारे में तक जांच नहीं की गई।
लाईसेंस की जांच जरूरी
बताया गया है कि पानी के प्लांट संचालित करने के लिए लाइसेंस होना जरूरी है। आरओ प्लांट को शुरू करने से पहले भारतीय मानक द्वारा जारी आईएसआई लाइसेंस लेना आवश्यक होता है। जिसमें फर्मया कंपनी का राजिस्ट्रेशन होता है।इसके बाद आरओ प्लांट संचालित करना अपराध की श्रेणी में आता है। यहां मंडला जिले में नियम कायदो को दरकिनार कर आरओ प्लांट संचालित है।

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