श्रीमद् भागवत कथा का चौथा दिन:कथा वाचक पं फूलचंद तिवारी ने कहा- राजा बलि का घमंड तोडऩे भगवान विष्णु को लेना पड़ा वामन अवतार…
रेवांचल टाईम्स – मण्डला, नववर्ष के उपलक्ष्य में स्वामी सीताराम वार्ड के डिंडौरी नाका के पास संगीतमय श्रीमद्भागवत पुराण का आयोजन 1 जनवरी से 9 जनवरी तक आयोजित किया जा रहा है यहां कथावाचक पं. फूलचंद तिवारी सिलगी वाले के मुखाबिंद से कथा का वाचन किया जा रहा है। कथा के चौथे दिन उन्होंने बताया कि कथा वाचक पं फूलचंद तिवारी ने भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा सुनाई। कथा वाचक पं फूलचंद तिवारी ने कहा कि दैत्यों का राजा बलि बड़ा पराक्रमी राजा था। उसने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। उसकी शक्ति से घबराकर सभी देवता भगवान वामन के पास पहुंचे तब भगवान विष्णु ने अदिति और कश्यप के यहां जन्म लिया। एक समय वामन रूप में विराजमान भगवान विष्णु राजा बलि के यहां पहुंचे उस समय राजा बलि यज्ञ कर रहे थे। बलि से उन्होंने दान मंगा, बलि ने कहा ले लीजिए। वामन ने कहा मुझे तीन पग धरती चाहिए। दैत्यगुरु भगवान की महिमा जान गए। उन्होंने बलि को दान का संकल्प लेने से मना कर दिया। लेकिन बलि ने कहा यदि ये भगवान हैं तो भी मैं इन्हें खाली हाथ नहीं जाने दे सकता। भगवान वामन ने अपने विराट स्वरूप से एक पग में बलि का राज्य नाप लियाए एक पैर से स्वर्ग का राज नाप लिया। बलि के पास कुछ भी नहीं बचा। तब भगवान ने कहा तीसरा पग कहां रखूं। बलि ने कहा मेरे मस्तक पर रख दीजिए। जैसे ही भगवान ने उसके ऊपर पग धरा राजा बलि पाताल में चले गए। भगवान ने बलि को पाताल का राजा बना दिया। सतयुग में बलि ने स्वर्ग में अधिकार कर लिया। सभी देवता इस विपत्ति से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने देवताओ से कहा की में स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से जन्म लेकर तुम्हे स्वर्ग का राज्य दिलाऊंगा। कुछ समय पश्चात भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में जन्म लिया। इधर, दैत्यराज बलि ने अपने गुरु के साथ दीर्घकाल तक चलने वाले यज्ञ का आयोजन किया। बलि के इस महायज्ञ में ब्रह्मचारी वामन जी भी गए। दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने अपने तपो बल से उन्हें पहचान लिया। संगीतमय कथा का आयोजन महिला मंडल के द्वारा आयोजित की गई है।