हिंदू धर्म में स्वास्तिक का इतना महत्व क्यों हैं? इसे बनाने से सौभाग्य प्राप्त होता है
जब भी कोई नए काम की शुरुआत होती है या किसी भी नई चीज के इस्तेमाल से पहले हर घर में स्वास्तिक का चिह्न जरुर बनाया जाता है। कुमकुम, सिंदुर और हल्दी से स्वास्तिक बनाने की रीत काफी सदियों से चल रही है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसे घर में शुभता का फल माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, स्वास्तिक मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है। इसी वजह से इससे घर में काफी सकारात्मक उर्जा रहती है और जिस स्थान पर इस शुभ चिह्न को जिस जगह पर बनाया जाता है वहां अपने आप ही उर्जा हो जाती है। इसे पवित्र प्रतीक माना जाता है जो सौभाग्य, समृद्धि और शुभता से जोड़ा जाता है। स्वास्तिक चिह्न को गृहप्रवेश, शादी, नए व्यापार और नए वाहन खरीदेन पर बनाया जाता है। आइए आपको स्वास्तिक बनाने के कारणों के बारे में बताते हैं।
स्वास्तिक सौभाग्य का प्रतीक है
ज्योतिष के अनुसार, स्वास्तिक का चिह्न सौभाग्य, समृद्धि और सकारात्मक उर्जा के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य को शुरु करने से पहले इस चिह्न को जरुर बनाया जाता है। स्वास्तिक आपके घर मे सकारात्मक उर्जा से भर देता है जो सामंजस्यपूर्ण का प्रतिनिधित्व करता है। जब हम कोई शुभ कार्य करते है तो पहले स्वास्तिक का चिह्न जरुर बनाते हैं इससे घर में उर्जा रहती है और पूरा वतावरण को शुभ रखता है।
स्वास्तिक की चार भुजाएं क्या दर्शाती हैं
स्वास्तिक की चार भुजाएं वाला चिह्न घड़ी की सुई की दिशा में बनाया जाता है। माना जाता है कि ये चार प्रमुख दिशाएं और जीवन के चार चरणों को प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं इसे सूर्य के प्रतीक के रुप में भी देखा जाता है, जिससे जीवन में उर्जा के स्रोत के रुप में माना जाता है।
स्वास्तिक बनाने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है
शुभ कार्य पर स्वास्तिक बनाने से देवाताओं का आशीर्वाद उस काम से जुड़ जाता है। माना जाता है कि यह देवताओं का आह्वाहन करने का बहुत बढ़िया तरीका है, इस चिह्न पर देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। यह शुभता का प्रतीक माना जाता है जब भी शुरुआत होने से पहले जमीन, दीवार या मुख्य द्वार पर स्वास्तिक जरुर बनाया जाता है।