जिले की इकलौती मिट्टी परीक्षण प्रयोग शाला की जर्जर हालत नही है समुचित व्यवस्था

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रेवाचंल टाइम्स मंडला यू तो हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है जहां पर कृषि से ही देश की अर्थव्यवस्था संचालित होती है वही अन्नदाता के रूप में किसान होता है जो अपनी जमीन पर विभिन्न प्रकार की फसलें पैदा कर देश कि अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है किसान अपनी खेत की मिट्टी में फसले पैदा करता है मिट्टी को उपजाऊ बनाये रखने के लिए वह खादों का प्रयोग करता है उनमें से रसायनिक खाद जैविक खाद एवं गोबर की खाद का इस्तेमाल करता है लेकिन किसान को यह पता नही होता है कि उसके खेत की मिट्टी पर कौन से उर्वरक तत्त्वों की कमी रहती है जिसके लिये केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा किसानों के खेतो की मिट्टी परीक्षण के लिये हर जिले एवं विकास खंडो में मिट्टी परीक्षण के लिये प्रयोग शाला की व्यवस्था की गई है।

आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के सभी विकास खंडो में मिट्टी परीक्षण प्रयोग शाला बनाई गई हैं जहाँ पर किसानों की सुविधा के लिये भवन निर्माण व प्रयोग शाला में उपयोग के लिये कीमती मशीन लगाई गई है जिसकी कीमत लगभग करोड़ों रुपये की है जो धूल खा रही है साथ ही आज तक उनको ऑपरेट करने वाले वर्कर की भर्ती नही की गई है जिसके चलते मशीने रखरखाव के चलते जंग खा रही है कागजो में तो योजना बना दी गई है पर धरातल में कुछ और दिखाई देता है
हम बात कर रहे है मंडला जिले में एक मात्र मिट्टी परीक्षण प्रयोग शाला कृषि उपज मंडी के जर्जर भवन में संचालित हो रही है जहां पर भवन की स्थिति बड़ी ही दयनीय है जहां पर भवन कभी भी ढ़ह सकता है ऐसे भवन में महंगी मशीने रखी गई है जिनसे मिट्टी परीक्षण का कार्य किया जा रहा है पर दुर्भाग्य यह है कि ये बेशक़ीमती मशीनों के संचालन के लिये वातानुकूलित कमरो की जरुरत होती है जिसमे मशीने सही ढ़ग से काम करती है पर जिले में संचालित प्रयोग शाला में ऐसी कोई व्यवस्था न होने के चलते मशीने अपना सही रिजल्ट नही दे पाती है खासतौर पर गर्मी के समय तापमान में अधिकता होने के कारण से मशीने सही काम नही करती है जबकि इन मशीनों के रखरखाव की जिम्मेदारी कृषि विभाग के उप संचालक की होती है पर इस ओर इन जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा ध्यान नही दिया जाता है इन मशीनों को चलाने के लिये छः से सात कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है लेकिन जिले की इकलौती प्रयोग शाला को चलाने के लिये सिर्फ दो लोग ही है एक प्रयोग शाला प्रभारी व दूसरा लेबटेक्निशियन है इनके ही भरोसे जिले भर की मिट्टीओ का परीक्षण किया जाता है जिसमें प्रयोगशाला प्रभारी को मिट्टी परीक्षण का हर वर्ष लक्ष्य दिया जाता है जिसमे वर्ष 2023 व 2024 में 25051 किसानों की मिट्टी का परीक्षण का लक्ष्य दिया गया था जिसमें से दस हजार किसानों की ही टेस्टिंग हुई और 2024 व 2025 में जो लक्ष्य दिया गया था 23000 जिसमें से ग्यारह हजार किसानों की ही टेस्टिंग हो पाई है

अब सवाल यह उठता है कि समूचे जिले के किसान जो कि दूर दूर से मृदा परीक्षण के लिये मुख्यालय में आना इनकी मजबूरी होती है जबकि हर जनपद में मशीने स्थापित की गई है पर वो मशीने शोपीस बनी है या कहे कि धूल खा रही है सरकारी धन की होली खेली गई है जिसकी बानगी जिले की समस्त विकास खण्डों में देखने को मिल जाएगी

इनका कहना है

हमने जर्जर भवन की मरम्मत कार्य कराने ने लिये स्टीमेट तैयार कर लिया गया है अचार संहिता के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा एवं सभी विकास खण्डों के लिये मशीनों को चलाने के लिये नियुक्ति की जाएगी।

आर.डी.जाटव
सहायक उप संचालक कृषि मंडला

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