मंडला कलेक्टर के निर्देश पर गठित टीम ने सिविल अस्पताल नैनपुर का किया दौरा, पाई अनिमित्ता..

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था जर्जर अवस्था मे पहुँच चुकी है वही दूसरी और सरकारी अस्पतालों पर पदस्थ अस्पताल में कम और अपनी निजी किलिनिक में ज्यादातर देखे जाते है आज हर सरकारी डॉक्टर की एक निजी किलिनिक संचालित हो रही है और वह ज्यादा से ज्यादा समय अपनी किलिनिक को देकर दोनों हाथों में लड्डू ख़ा रहे है। सरकारी डॉक्टरों के किलिनिक संचालन से सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था बद से बत्तर हो चली है जहाँ कुछ समय के लिये अस्पताल में पदस्थ ड्राक्टर अस्पताल में जाकर थोड़े बहुत मरीजो के देखते है और अस्पताल में आये हुए मरीजों को डॉक्टर छूने से परहेज करते है वही दूसरी तरह वही मरीज अगर किलिनिक जाता है तो डॉक्टर साब उसे पूरी तरह से छू छू कर देखते हुए इलाज कर देते हैं। आज सब के लिए पैसा भगवान बन बैठा है मानवता लोगो मे और अधिकारियों में मर चुकी है। इसका जीता जागता उदाहरण आज जिले में संचालित सरकारी अस्पतालों में बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।
वही जिले से गठित टीम ने सरकारी डॉक्टर का निजी क्लीनिक भी देखा नैनपुर मंडला कलेक्टर सलोनी सिडाना जी को की गई सिविल अस्पताल नैनपुर के कुछ विषय बिंदु की शिकायत के बाद कलेक्टर मंडला के निर्देश पर एक टीम गठित की गई जिस में सयुक्त कलेक्टर ऋषभ जैन, सीएमएचओ सरोते जी, सिविल सर्जन डॉक्टर विजय धुर्वे, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ उषा धुर्वे, महिला बाल विकास अधिकारी शालनी तिवारी, डी एच ओ कोरी, ए सो ओ वरकडे जी, डीपीएम शैलेन्द सिंह, प्रभारी सुनील सेयाम, शामिल थे। कुछ बिंदु को लेकर शिकायत की गई थी जिसमें सरकारी डॉक्टर की निजी एंबुलेंस, निजी क्लीनिक से दवाई बुलाना,108 से फर्मिलिटी कर निजी एंबुलेंस मरीजों को देना,दवाई का अभाव, भोजन व्यवस्था,ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ डॉक्टर सभी के द्वारा मुख्यालय न जाकर नैनपुर निजी क्लीनिक में बैठना, जबकि सरकार प्रोत साहन राशि 40000 रुपए हर माह वेतन के अलावा इन को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा स्वरूप दे रही है। 1 दिन की ड्यूटी के बाद दूसरे दिन रेस्ट के बाद इन को टाटरी, पिंडरई, भरवेली, पाठा सीहोरा में सेवाए देना है ये वहा न जाकर न सिर्फ सिविल अस्पताल नैनपुर का माहौल खराब करते है । बिना ड्यूटी के सिविल अस्पताल नैनपुर में रहते है। अपितु किसी मरीज घटना के बाद दवाई बाहर से बुलाना, सीटी स्कैन,सोनो ग्राफी के लिए निजी क्लीनिक कमीशन के चक्कर में भेजते है।
वही उक्त टीम ने सिविल अस्पताल नैनपुर का दौरा किया खाना, दवाई, साफ सफाई, ओपीडी, आईपीडी,डिलेवरी वार्ड, केजुल्टी वार्ड, स्टोर वार्ड, गायनिक वार्ड, एनआरसी का दौरा किया और कलम बंद किया।सरकारी डॉक्टर की निजी क्लीनिक भी देखा, वही इस टीम के आने की खबर थी तो आज सरकारी डॉक्टर की निजी क्लीनिक बंद जैसी थी, तो विडियो और पिक टीम अपने साथ ले गई दलाली का अड्डा बना लिया है सिविल अस्पताल नैनपुर को सरकार एक और सुविधाएं उपलब्ध करा रही है,,दूसरी और खुद सुलझी हुई मंडला डॉक्टर सलोनी सिडाना जी मानवीय संवेदनाओं मानवीय मूल्यों मानवीय सरोकार से स्वस्थ सेवा में नवाचार कर रही है की मैदानी सेवाए जमीन पर मजबूत हो वही दूसरी और पोस्टेड कुछ डॉक्टर मूल स्थान पर न जाकर यही कमरा आरक्षित करा लिया है इस से भी ईमानदारी से काम करने वाले डॉक्टर और स्टाफ के बीच भारी मतभेद है। उसके बाद ये दुकान का नाम लिख लिख के ब्लाक और बाजार से दवा बुला रहे है।।जो सिविल अस्पताल नैनपुर में पोस्टेड वाले डॉक्टर है वो निजी क्लीनिक में मरीज देखते हैं कब आते है कब नही आते सिविल अस्पताल नैनपुर में लगे कैमरा गवाही दे देंगे वही दूसरे तरफ झोला छाप डॉक्टर पहले देहात में लूटे केस बिगड़ जाए तो निजी स्वार्थ में सरकारी डॉक्टर की क्लिनिक में वो मरीज आता है निजी नेटवर्क इतना मजबूत है झोला छाप डॉक्टर और सरकारी डॉक्टर का जब मरीज की चंद सास अटकी रहे तो सिविल अस्पताल नैनपुर में भर्ती करा देते है की सिविल अस्पताल में मौत हुई कई बार तो मरे मरीज को लेकर भर्ती कराया गया, जो मरीज आर्थिक स्थिति में मजबूत हो उसको कमीशन के चक्कर में नागपुर जबलपुर भेज दिया जाता है। शव के साथ भी खिलवाड़ दुनिया से जा चुके शव के साथ भी डॉक्टर दलाली करते है। अज्ञात शव जो भीख मांग कर जीवन यापन कर रहा था जब उसकी शिनाख्त हुई तो उसके घर वाले से भी पैसा वसूला गया जब की दो गाड़ी उपलब्ध है सिविल अस्पताल नैनपुर में वो गाड़ी उपलब्ध न करा के निजी एम्बुलेंस बुलाई गई। एक और लंबे अर्से से नागरिक मंच सिविल अस्पताल में जिन शव की पहचान नही हो पाती उसका अंतिम संस्कार करता है। अपने निजी व्यय पर गरीब वर्ग को नि शुल्क सेवा एंबुलेंस की शव पर देता है। वही दूसरी और सेवा के संस्थान को इन कुछ डॉक्टर ने कमाई और दलाली का अड्डा बना लिया है। बकौल सीएमएचओ मंडला ने अपनी पूरी टीम के सामने कई बार ऐसा हुआ की सीएमएचओ मंडला को निरुत्त होना पड़ा,सरकारी डॉक्टर की निजी क्लीनिक से दवाई बुलाना बाजार से हो या ब्लाक से,,108 में फॉर्मिल्टी के लिये मोबाइल करना खुद कुछ डॉक्टर निजी तौर पर सरकारी डॉक्टर की निजी एंबुलेंस मोबाइल कर बुलाना,सोनो ग्राफी सी टी स्कैन की सलाह निजी में अच्छा होता है करा के लाए मंडला से। उसके पीछे की मंशा इन डॉक्टर की मरीज हित में नहीं कमीशन खोरी में निजी हित की होती है।सीएमएचओ मंडला डॉक्टर का पक्ष लेते नजर आए की डॉक्टर की कमी है तो कैमरे गवाही देंगे की एक साथ एक दिन में तीन डॉक्टर सेवा भाव विभोर से सेवा दे रहे है। जबकि ड्यूटी डॉक्टर एक होता है।आईपीडी के वक्त सुबह शाम कितने डॉक्टर ईमानदारी से सेवा देते है।।ये केमरे गवाही दे देंगे, 40000 हर माह देहात में सेवा देने की इन सभी डॉक्टर को मिलती है वहा न जाकर रूपये देकर की वहा रहते है वेतन के अलावा ये राशि भी ले दे के वसूल रहे है। और 181 में शिकायत हुई । और एसडीएम नैनपुर के दौरो में ये वहा देहात में नही मिले। सीएमएचओ मंडला ने दावा किया की जो दवाई यहां नहीं मिलती उस को रोगी कल्याण समिति से खरीद लिया कर फ़्री में दी जा रही है। जबकि 6 माह पुराना सभी भर्ती मरीज सिविल अस्पताल नैनपुर में का नाम और दवाई बाहर से बुलाई गई इस के प्रमाण नागरिक मंच ने कलेक्टर मंडला को दी गई शिकायत में बताया है। नैनपुर के स्थानीय पत्रकारो से वन टू वन सयुक्त कलेक्टर ऋषभ जैन ने पत्र कारो को बताया की माननीय मंडला कलेक्टर मेडम जी को शिकायत हुई थी कुछ बिंदु में।। शिकायत क्या थी ये तो नही पता पर आपके निर्देश पर टीम गठित की गई थी उस बिंदु पर जांच की गई है। गोर तलब हो सिविल अस्पताल नैनपुर तीन जिले सिवनी,बालाघाट,मंडला की सीमा रेखा को छूता है। वही 2 एंबुलेंस हैं सिविल अस्पताल नैनपुर में उपलब्ध। पर बीते दिवस शव कई घंटे रखा रहा। सिर्फ सीमा रेखा के चलते की सरकारी एंबुलेंस सिवनी जिला या बालाघाट जिला नही जाएगी। तो इलाज भी मत करो। जबकि मुख्य मंत्री ने ऐसे कोई सीमा रेखा या सेवा भी नही देने के आदेश दिया है क्या । बड़ा सवाल है, जब इलाज होता है और कोई इस वक्त दुनिया से चले जाए तो मान सम्मान से शव घर तक भी पहुंच सेवा दी जाए। प्रशन पर बीएमओ बेहतर बता सकते है क्या नियम है क्या नही ये कहना था सयुक्त कलेक्टर श्री ऋषभ जैन का। इस के बाद मरता क्या नही करता आर्थिक रूप से टूटा परिवार भी मजबूरी भी मुंह बोली रकम पर शव घर ले जाता है। क्या इस घटना से सरकार की छवि,मंडला के जन प्रति निधि जिस में सांसद के अलावा सरकार में कैबिनेट मंत्री है के अलावा जिला प्रशासन की छवि खराब नही होगी।।।और ये सब कोई नियम के तहत नही निजी तौर पर दलाली और लाभ के चलते होता है।सीएमएचओ मंडला का कहना था की बिंदु वार जांच की गई है एक दिन की सेवा देने के बाद ड्यूटी डॉक्टर को अपने प्राथमिक सेवा केंद्र में होना चाहिए इसकी भी जल्द जांच की जायेगी।
वही नैनपुर नागरिक मंच ने जिला कलेक्टर श्रीमती सलोनी सिडाना का आभार व्यक्त किया है की इस टीम के दौरे के बाद सिविल अस्पताल नैनपुर में व्यवस्था पटरी पर दिखेगी।

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