बैगानी एवं गोंडी भाषा में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे पहली से पांचवीं तक के जनजातीय छात्र बैगा पुस्तक कार्य योजना पर चल रहा है काम
आनंद साहू की रिपोर्ट
दैनिक रेवांचल टाइम्स बजाग – मध्यप्रदेश की अत्यंत पिछड़ी जनजातियों में से एक बैगा जनजाति की विलुप्त होती भाषा ओर संस्कृति को सहजने एवं संवारने की दिशा में भारत सरकार का अनुसूचित जनजाति कार्य विभाग एक और कदम उठाने जा रहा है जिसके तहत प्राथमिक स्तर पर पहली से पांचवीं तक के स्कूली पाठ्यक्रम में भाषा आवश्यक बदलाव किए जा रहे है इसके लिए हिंदी भाषा में लिखित पहली से पांचवीं की तक की विषयवार किताबों को बैंगानी एवं गोंडी भाषा में अनुवाद करने का कार्य किया जा रहा है आदिवासी अनुसंधान एवं विकास संस्थान की पहल पर जनजातीय स्कूली विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम को सरल बनाने के उद्देश्य से उनकी ही बोली भाषा में राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा प्रकाशित पहली से पांचवीं की किताबों को बैगानी एवं गोंडी भाषा में पिरोने का कार्य तेजी से किया जा रहा है।महत्वपूर्ण यह है कि बैगानी भाषा में अनुवादित किताबों में अंग्रेजी भाषा की किताब को शामिल नहीं किया गया है जानकारी के अनुसार अन्य तीन विषय हिंदी गणित और पर्यावरण की ही किताबों पर अनुवाद करने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जिले के बजाग विकास खंड में स्थित शासकीय कन्या परिसर में बैगा एवं गोंडी समुदाय के शिक्षकों सहित पैंतीस लोगों का दल दो अलग अलग शिफ्टों में हिंदी भाषा के विषयों को अनुवाद करने का कार्य कर रहे है बैगानी एवं गोंडी की मिश्रित भाषा का पाठ्यक्रम संभवतः अगले सत्र तक स्कूलों में प्रचलन में लाने की योजना है बैगानी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने से जनजातीय बोली को प्रोत्साहन तो मिलेगा ही साथ ही यह प्रयोग डिंडोरी जिले की विशेष संरक्षित जनजाति बैगाओ के सामाजिक व्यवहार और संस्कृति को आगे बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगा। तथा जनजातीय छात्रों के बौद्धिक परिपक्वता एवं विकास में भी सहायक होगा। जनजातीय समाज के छात्रों के उत्थान में आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था के द्वारा उठाया गया यह कदम पायलट प्रोजेक्ट यानि कि प्रारंभिक प्रयोग के तौर पर भी देखा जा रहा है जिसकी कार्ययोजना का खाका बनाए जाने के लिए बजाग विकास खंड के बैगा एवं गोंडी भाषा के विभिन्न स्कूलों में पदस्थ विशेषज्ञ शिक्षकों की मदद ली जा रही है पहली से पांचवीं तक के पाठ्यक्रम के भाषा बदलाव में बैगानी शब्दकोश से संग्रहित किए गए शिक्षा संबंधी शब्दों का समावेश भी किया जा रहा है तथा भाषा के हर पहलुओं का बारीकी से ध्यान रखा जा रहा है
कार्ययोजना को कैसे दिया जा रहा है अंजाम ::- विकासखंड शिक्षा अधिकारी एवं जनजातीय संस्कृति व भाषा के जानकार धनेश परस्ते को बैगा पुस्तक योजना का नोडल अधिकारी बनाया गया है उन्होंने बताया कि इस कार्ययोजना के संबंध में आदिवासी अनुसंधान एवं विकास संस्थान नई दिल्ली भारत सरकार द्वारा जिले के जनजातीय कार्य विभाग को दिशा निर्देश प्राप्त हुए है उसके पालन में कार्ययोजना को मूर्तरूप देने के लिए विकासखंड के बैगा शिक्षकों समेत लगभग पैंतीस लोगों का दल इस कार्य में लगा हुआ है जिसका करीबन पचास प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है शासकीय कन्या शिक्षा परिसर के ऑटोडोरियम हाल में छह मेजों पर जनजातीय समाज के विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिए बैगानी एवं गोंडी भाषा में विषयवार किताबों का अनुवाद करने का काम निरंतर जारी है पाठ्यक्रम का खाका तैयार करके जिले में भेजा जाएगा जहां से आदिवासी अनुसंधान एवं विकास संस्थान को प्रेषित किया जाना है भारत सरकार अनुसूचित जनजाति कार्य विभाग नई दिल्ली की मुहर लगने के बाद ही बैगानी एवं गोंडी भाषा का पाठ्यक्रम प्रचलन में आना संभावित है।
जानकारी के मुताबिक विलुप्त होती संस्कृति एवं भाषा के शब्दकोश को जीवंत रखने हेतु समय समय पर आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था द्वारा कार्य शालाएं भी आयोजित की जाती रही है ।जानकारी के मुताबिक वर्ष 2008 में भी बैगांचल के वन्या रेडियो केंद्र चांडा के माध्यम से प्राथमिक स्तर के बैगा छात्रों को उन्हीं की बोली भाषा में शिक्षा देने कार्यक्रम प्रसारित किए जाते रहे है!