मंडला: पीएम आवास योजना में घोटाला, सरकारी तंत्र की मिलीभगत उजागर
बैंक अधिकारियों से सांठगांठ, पात्र हितग्राहियों के खातों में राशि की हेराफेरी
रेवांचल टाइम्स – मंडला। आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार चरम पर है। शासन की योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के बजाय, सरकारी तंत्र अपनी मिलीभगत से आमजन के हक पर डाका डाल रहा है। ऐसा ही एक मामला जनपद पंचायत नारायणगंज के ग्राम पंचायत देवहार में सामने आया है, जहां पीएम आवास योजना की राशि को फर्जी दस्तावेजों के सहारे हड़प लिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पंचायत सचिव और रोजगार सहायक ने आपसी साठगांठ से पात्र हितग्राहियों की राशि को पहले अन्य खातों में ट्रांसफर कराया और फिर उसे निकालकर बंदरबांट कर लिया। मामले के उजागर होने के बाद, बैंक अधिकारियों से सांठगांठ कर लगभग दो वर्ष बाद राशि पुनः उसी हितग्राही के खाते में डाल दी गई, ताकि किसी तरह की जांच होने पर गड़बड़ी को छुपाया जा सके।
सरपंच बना कठपुतली, सचिव और सहायक के इशारों पर खेला जा रहा भ्रष्टाचार का खेल
ग्राम पंचायत देवहार में सरपंच की भूमिका केवल नाम मात्र की रह गई है। पंचायत सचिव और रोजगार सहायक के हाथों की कठपुतली बन चुके सरपंच की निष्क्रियता के कारण ही यह गड़बड़ियां संभव हो पाई हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को देने के बजाय, इन्हीं अधिकारियों द्वारा पहले खुद के स्वार्थ पूरे किए जा रहे हैं और बाद में कागजी खानापूर्ति कर दी जाती है।
मनरेगा में भी जमकर हो रही धांधली
ग्रामीणों के अनुसार, मनरेगा योजना में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। मनरेगा के तहत आने वाले कार्यों को सचिव के इशारे पर पांचवें वित्त आयोग की राशि से कराया जा रहा है। पोषक ग्राम सुरंगवाणी में एक आंगनवाड़ी भवन निर्माण में भी गड़बड़ी उजागर हुई है, जहां मजदूरों की हाजिरी मस्टर रोल में भरकर भुगतान मनरेगा से कराया गया, जबकि इस भवन के लिए अलग से टेंडर जारी किया गया था।
अधिकारियों की अनदेखी, मीडिया दबाव में होती है कार्रवाई
स्थानीय प्रशासन की उदासीनता का आलम यह है कि जब तक मीडिया का दबाव नहीं बनता, तब तक भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। जनपद पंचायत नारायणगंज के सीईओ निरीक्षण करने या भ्रष्टाचार की शिकायतों पर स्वतः संज्ञान लेने से बचते हैं। ऐसे में ग्राम पंचायतों में गड़बड़ियों का सिलसिला जारी है।
मजदूरों के रोजगार पर संकट, मजबूरी में कर रहे पलायन
ग्राम पंचायत देवहार में मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों को 100 दिनों का रोजगार देने का दावा केवल कागजों में सीमित रह गया है। जेसीबी मशीनों से एक ही दिन में कार्य पूरे करवा लिए जाते हैं, जिससे मजदूरों के हक पर सीधा कुठाराघात किया जा रहा है। परिणामस्वरूप, मजदूर मजबूरी में अन्य राज्यों में पलायन करने को विवश हो रहे हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
“पीएम आवास योजना की राशि में यदि कोई गड़बड़ी हुई है तो उसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएं, हम जांच कराएंगे।”
- श्रेयांश कुमट, सीईओ, जिला पंचायत मंडला
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या ठोस कदम उठाता है या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।
