दलालो के माध्यम से चल रहा है सट्टा, जुआ, और अवैध शराब का कारोबार
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सूचना तंत्र कमजोर लेकिन खाखी के दलाल टेबल के नीचे से अवैध कारोबार को बढाते नजर आ रहे हैं..
रेवांचल टाइम्स – मंडला, जिले में अपराधियों के हौसले बुलंद नजर आ रहे है और जिन्हें कानून की व्यवस्था और अबैध कारोबार को रोकने लगाम लगाने की जिम्मेदारी सौपी है वह अब केवल नोटों की चकाचौंध के आगे बौने साबित हो रहे हैं और आज सट्टा जुआ शराब गांजा स्मेक जैसी चीजें आसानी से जगह जगह मिल रही हैं।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज जिले के कई थाना चौकियों के अंतर्गत सट्टा का जोर देखा जा रहा हैं, और जिम्मेदार पुलिस प्रशासन हप्ता महीना के चलते इन्हें संरक्षण दिया जा रहा हैं, घुघरी यूं तो मंडला जिले में अवैध कारोबार दिन पर दिन बढ़ते नजर आ रहा है जिसमें पुलिस की भूमिका आज जिले में छुपी नहीं है लेकिन तहसील मुख्यालय घुघरी के क्षेत्र में इन दिनों खाखी की भूमिका के साथ साथ खाखी के दलाल भी अपनी मोटी कमाई में खाखी को साथ में रखकर अपनी जेब भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं..
वही थाना में किसी भी प्रकार का प्रकरण क्यों न आया हो चाहे मोबाइल गुम होनें की शिकायत से लेकर चोरी,सट्टा,जुआ या जितने भी अवैध कामों से लेकर अन्य बड़े अपराधों को भी सेटलमेंट करने में लगे रहते हैं..
और हर शिकायत पर दलालों का सिपाही से लेकर थाना प्रभारी से रेट फिक्स रहता है..
ऐसा ही नया मामला तहसील मुख्यालय घुघरी की सट्टा पट्टी से लेकर अन्य अपराध के विषय पर आया है जहां दलाल खुद को ही वर्दीधारी समझकर खुद ही सारे मामलों को निपटाने में लगे रहते हैं और थाना के सिपाही से लेकर थाना प्रभारी तक का रेट फिक्स करके रखे हैं कि सट्टे का मासिक भुगतान इतना होगा और अन्य प्रकरण का इतना होगा..
और खुद की छवि बनाने के लिए खाखी की चमचागिरी करके सारे अवैध कार्यों का ठीकरा खाखी पर थोपकर खुद सुरक्षित नजर आते हैं..
वहीं नाम न बताने की तर्ज पर घुघरी निवासी ने ही बताया की घुघरी में विगत 10-15 दिनों से सट्टे का कारोबार चल रहा है और खाखी के दलाल ने ही थाना प्रभारी से सेटिंग कराई है और अन्य जो व्यक्ति जो खिलवा रहे हैं उनकी सेटिंग भी दलाल के द्वारा कराई गई है.
सिपाही पांच सौ रुपये से लेकर सहायक उपनिरीक्षक एक हजार रूपये और सहायक निरीक्षक पांच हजार रुपये का महीना बंधा हुआ है..
थाना प्रभारी को मासिक पच्चीस हजार रूपये की बातचीत खुद दलाल करते हैं…
जिसमें पता नहीं कितनी राशि उनको मिलती है या नहीं मिलती या फिर दलाल खुद खाखी के नाम पर अपनी वसूली करते हैं।यह विषय तभी पता चल पाएगा जा इसकी बारीकी से जांच कराई जाए तभी दूध का दूध और पानी का पानी साफ नजर आएगा।
