कुदई टोला में शत-प्रतिशत आदिवासियों का है रहवास कुदई टोला के दो सौ परिवारों में मची बूंद-बूंद पानी की त्राहि-त्राहि

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दैनिक रेवांचल टाइम्स – मंडला।कुदई टोला के लगभग दो सौ आदिवासी परिवारों में बूंद बूंद पानी के लिए वर्षों से त्राहि-त्राहि मची हुई है। ग्रामीणों को अन्य निस्तार के लिए तो दूर पीने के लिए पानी भी पर्याप्त नहीं मिल पा रहा है।अनगिनत बार गुहार लगाये जाने के बाद भी शासन-प्रशासन ने अब तक इस क्षेत्र में पानी के कोई पुख्ता इंतजाम के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया है। नल-जल योजना का तो यहां पर अता-पता ही नहीं है।

समुदाय वार्ता की टीम से पी.डी.खैरवार और सहजान परस्ते के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 3 मई 2024 को इस क्षेत्र का भ्रमण किया गया था।भ्रमण के दौरान समस्याग्रस्त ग्रामीणों की बैठक वार्ड क्रमांक 18 में चल रही थी। बैठक में सामिल ग्रामीणों से बातचीत करने पर बताया गया,कि जिला मुख्यालय से लगी हुई ग्रामपंचायत जंतीपुर का पोषक गांव हमारा कुदई टोला है। जहां के वार्ड नंबर 18 से 21 तक पीने के पानी का इंतजाम बरसों पहले से नहीं है। ग्राम पंचायत के द्वारा दो साल पहले पाइपलाइन बिछाकर घर-घर नल कनेक्शन लगा तो दिये गये हैं पर पानी आज तक नहीं पहुंचाया जा सका है। जबकि इसी क्षेत्र में लोहे के स्टेंड बनाकर प्लास्टिक की दो टंकियां रख दी गई हैं। जंतीपुर खिरखा टोला के पास भी कांक्रीट से बनी एक बड़ी सी टंकी लगी हुई है। जहां से भी पानी कुदई टोला तक नहीं पहुंचाया जा रहा है।कुदई टोला क्षेत्र में सिर्फ दो ही हैंडपंप ऐसे हैं, जिनमें पानी उपलब्ध तो है,परंतु लगभग 200 परिवारों के इस क्षेत्र के लिए यह दो हैंड पंप नाकाफी पड़ते हैं।ज्यादा देर चलने पर पानी के साथ मिट्टी का गर्दा निकलने लगता है।यहां पर पानी भरने के लिए ग्रामीण महिला पुरुषों की भीड़ की लाइन सुबह से ही लग जाती है। कई बार तो देर से पहुंचने वाले ग्रामीणों को बिना पानी लिए ही वापस हो जाना पड़ता है। गांव में और भी हैंड पंप ऐसी जगहों पर लगाए गए हैं जहां पर पानी का स्तर ही कम है। ग्रामीणों ने यह भी बताया,कि वर्तमान में भी दो बोर स्वीकृत किये जाने की सुगबुगाहट चल रही है।इनको भी जलस्तर विहीन क्षेत्रों में लगाये जाने की तैयारी की आशंका है।जबकि वार्ड क्रमांक 18 की रहने वाली प्रेमा बाई बोरिंग और टंकी निर्माण के लिए जगह देने को तैयार है। ग्रामीणों का कहना है, कि उनके द्वारा लोक पी एच ई,जनपद पंचायत ,ग्राम पंचायत एवं कलेक्टर के पास कई बार मौखिक और लिखित आवेदन-निवेदन किये जा चुके हैं। बावजूद इसके उनके आवेदन निवेदन पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दिखाई दे रही है। हाल ही में ग्रामीणों ने कलेक्टर के पास पहुंचकर इस बात की लिखित सूचना भी दी है, कलेक्टर के द्वारा भी पहल करने पर 2 और 3 मई को कुछ घरों में अधिकतम 5 से 10 मिनट पानी की सप्लाई हो पाई है।अधिकांश घरों तक पानी का एक बूंद भी नहीं पहुंच सका है। कहने को तो यहां पर शौचालय घर-घर तैयार हैं,पर पर्याप्त पानी नहीं मिल पाने के कारण सब अनुपयोगी पड़े शासन की महत्वपूर्ण योजना को कोस रहे हैं।लोग खुले में शौच जाने को मजबूर रहते हैं।पानी नहीं होने के कारण ग्रामीणों को तरह-तरह की बीमारियां भी घेरने की आशंकाएं बनी रहती हैं।इस गांव में लोग अपनी बेटी ब्याहने को तैयार नहीं होते हैं।खेती की सिंचाई करने के लिए पानी की उम्मीद करना तो बेमानी होगी।ग्राम पंचायत सरपंच से इस विषय पर बात करने पर पानी पहुंचाने काम चलना हमेशा से बताया जाता है। यह समझ में नहीं आता कि काम कब से और कहां पर चल रहा है और कब तक चलता रहेगा।ग्रामीण इस गंभीर समस्या से इतने त्रस्त हो चुके हैं,कि अब आवेदन निवेदन से काम नहीं चलते देख जिला प्रशासन का घेराव करने भी विचार बना रहे हैं।पीने के पानी की इस गंभीर समस्या के समाधान को लेकर समुदाय वार्ता की टीम के द्वारा कलेक्टर मंडला को 3 मई को ही ईमेल से पत्र-व्यवहार भी किया गया है।अब देखते हैं,कि पानी की पर्याप्त उपलब्धता जांचें के लिए जरूरत से ज्यादा चिंतित जिला प्रशासन कब तक पुख्ता इंतजाम कर पा रहा है या फिर इन ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करने के बाद रास्ता निकालेगा।

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