बिना डिग्री के झोलाछाप डॉक्टर गाँव गाँव में कर रहे इलाज, असमय ही पहुंचा रहे मरीजों को यमराज के पास.. देखें वीडियो

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रेवांचल टाइम्स – मंडला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मंडला जिले में स्वास्थ्य विभाग की देन कहें या जिले में बैठे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की साठगांठ से आज कुकरमुत्तों की तरह तेजी से फैल रहे है बिना डिग्री और अनुभव के झोलाछाप डॉक्टर, इलाज कर रहे हैं।

वही सरकार के द्वारा आम जनता को एक अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गाँव गाँव में एक सरकारी नर्स की नियुक्ति की गई है साथ ही दो से चार किलोमीटर में स्वास्थ्य केंद्र भी बनाये गए है पर उन भवनों में अधिकांश तह ताले लटके मिल रहे है और जिनमें नर्स है तो वह मुख्यालय से अपडाउन करती है या फिर मुख्यालय में मीटिंग करती रहती है जिस कारण से आज आदिवासी क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है और जिसका पूरा फ़ायदा ये बिना डिग्री धारी लोगो को इंजेक्शन से लेकर बॉटल लगा रहे है और कुछ तो बड़ी बड़ी बीमारियों का भी ईलाज ये कर सेट है जो एक एम बी बी एस डॉक्टर भी नही करते है जो ये ईलाज इन झोपड़ी में चला रहे है औऱ ये खुलेआम एलोपैथिक दवाइयों का भी उपयोग कर रहे हैं और ये सब मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्थानीय खण्ड चिकित्सा अधिकारियों की मिलीभगत के कारण से संभव हो सकता हैं। कुछ झोलाछाप डॉक्टरों ने तो जिला मुख्यालय में आयुर्वेद या अन्य डिग्री रखे हुए और इनके द्वारा डिग्री किसी औऱ इलाज किसी और पध्दति औऱ कुछ डॉक्टरों के पास तो न डिग्री ओर न ही अनुभव फिर भी धड़धड़ा एलोपैथी से इलाज कर रहे है और यह सब जिम्मदारों को हप्ता महीने के हिसाब से कार्यवाही न करने के सेवा शुल्क दे रहे हैं।

जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण अंचल तक फैले झोलाछाप डाक्टर जो बोर्ड में अनेक डिग्री का व्याख्यान लिखवा तो लेते हैं लेकिन वास्तव में इनके पास न डिग्री है और न ही अनुभव कि किस मरीज को क्या उपचार देना है और दे क्या रहे हैं, इन्हें आता है और ये कर रहे है इनके ईलाज से अनेकों मरीज असमय काल के गाल में समा गए पर न स्थानीय प्रशासन जगा औऱ न जिला प्रशासन,
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा ही नया कारनामा तहसील मुख्यालय घुघरी के ग्राम पंचायत तबलपानी का आया है जहां पर रामेश्वर बंजारा जो कि निजी क्लीनिक चला रहे हैं, जहा उसके पास न कोई डिग्रियां है और न ही कोई स्वास्थ्य विभाग से अनुमति औऱ ताज्जुब की बात ये है कि वह स्वास्थ्य केन्द्र से महज 100 मीटर में एक दुकान लेकर अपनी किलिनिक चला रहा है जहाँ पर मरीज को भर्ती से लेकर इंजेक्शन दवाइयां तक दे रहा है जब उस बिनी डिग्री धारी से रेवांचल की टीम ने इनसे बात कि तो पता चला कि इनके पास तो कोई डिग्री ही नहीं हैं और ये सब वह घुघरी के खण्ड स्वास्थ्य अधिकारी की जानकारी में है उन्हें पता है और उन्हें समय समय मे अच्छा खासा नजराना भी देता हैं, जबकि वह स्वयं ही अभी अध्यनरत हैं और बेखौफ होकर सीधे साधे बिना पढ़े लिखे ग़रीबो आदिवासी समुदाय के भविष्य से खेल रहा है औऱ लोगों का इलाज इस ढंग से कर रहे है कि मानों बहुत ज्यादा अनुभव हो लेकिन वास्तव में इनके पास न डिग्री है और न अनुभव औऱ न किसी प्रकार की अनुमति जब इस प्रकार के डाक्टर मरीजों का इलाज करेंगे तो निश्चित है कि ईलाज तो दूर की बात है उस मरीज का जीवन कितने खतरे में है ये विचार करने से ही दिल दहल जाता है, और आज से नहीं विगत कितने वर्षों से ओर कितने गाँव गाँव मे इन जैसे झोलाछाप ने अपना धन्धा चला रहे हैं और न जाने कितनी जाने के साथ खिलवाड़ कर चुके हैं, इनके गलत इलाज से लेकर आज तक न खण्ड चिकित्सा अधिकारी और न पुलिस विभाग न अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एस डी एम या फिर जिला चिकित्सा अधिकारी ने इस ओर ध्यान दिया और आज भी कितने लोग गलत इलाज का शिकार होकर असमय ही यमराज के पास पहुंच उनके मेहमान हो चुके होगें।

वहीं नाम न बताने की शर्त पर घुघरी में ही फर्जी डिग्री लेकर या ये कहें की फार्मेसी की डिग्री को पैसों के बल पर खरीद कर मेडिकल का संचालन किया जा रहा है..
तो आप सोच सकते हैं कि स्वास्थ्य सुविधा कितनी जर्जर हालत में है, ये बात आज किसी से छुपी नही सरकार लाख अच्छी शिक्षा अच्छे स्वास्थ्य की बात करले पर स्थानीय अमला के विगर ये संभव नही है और जो मुख्यालय में जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी बैठे हुए ये केवल उन फर्जीवाड़े को बढ़ावा दे रहे है क्योंकि इनसे इन्हें हप्ता महीना की सेवा शुल्क जो मिल रही हैं। जिस कारण से आज तेजी से जिला मुख्यालय से लेकर गांव गांव में इनकी किलिनिक खुली मिल जायेगी। और जब इस संबद्ध में जिम्मदारों से बात करो तो वह एक दुसरो पर अपनी जिम्मेदारी थोप ते नज़र आते ये फिर गोलमोल जबाब देते या फिर कार्यालय में उपलब्ध नही रहते है और जब उन्हें दूरभाष से बात करो तो वह कॉल रिसीब ही नही करते है इससे समझ आता हैं की वह कार्य के प्रति कितना कर्तव्यों का सही निर्वाह कर रहें है ये बात आज किसी से छिपी नही है।
वहीं जब इस संबंध में खण्ड चिकित्सा अधिकारी घुघरी डाक्टर नीरज राज से फोन पर संपर्क किया गया तो उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया…
इनका कहना है कि
घुघरी के गाँव गाँव मे झोलाछापों ने अपना जाल फैलाया है और आज ये सभी प्रकार का इलाज कर रहे है और जो सरकारी व्यवस्था है न तो वह समय मे आते और न ही उनके पास लोगो को देने के लिए आवश्यक दवाइयां होती हैं तबलपानी गांव का भी बुरा हाल है झह पर एक बिना डिग्री का डॉक्टर धड़ल्ले से लोगो की जिंदगी के साथ खेल रहा है यहाँ पर दवाइयां महंगी औऱ जिंदगी सस्ती, मेने अनेकों बार घुघरी से लेकर मंडला तक शिकायते की पर आज तक कुछ नही हुआ कुछ लोग जांच करने आते है और चाय नाश्ता करके अपना जेब गर्म कर चले जाते है और डॉक्टर अपना ओर तेजी से करता हैं इस जिले का तो भगवान ही मालिक हैं कुछ नही हो सकता हैं।
उपसरपंच ग्राम तबलपानी घुघरी

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