“जल जीवन मिशन योजना बनी अधिकारियों की भ्रष्टाचार योजना”
रेवांचल टाईम्स – मंडला, जिले में केंद्र सरकार की जीवनदायिनी जल जीवन मिशन योजना 2019 ग्रामीण क्षेत्र के लिए 15 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जब लांच किया तब सोचा नहीं गया होगा यह योजना परिवारों को पानी नहीं बल्कि अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने के अवसर प्रदान करने वाली योजना बनेगी सरकार की मंशा ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर शुध्द पीने का जल पहुंचाना था जिसकी डेडलाइन 2024 निर्धारित थी शुरुआत में योजना का बजट 3.60 लाख करोड़ रुपए था इसमें केंद्रीय हिस्सेदारी 2.08 लाख करोड़ और राज्य की 1.52 लाख करोड़ रुपए रही मिशन के आगे बढ़ने के साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा न होने के कारण लागत बढ़ती गई जिसे संशोधित कर बजट बढ़कर 8.33 लाख करोड़ रुपए हो गया फिर भी जिले में बैठे अधिकारियों की उदासीनता और पैसा कमाने की नियत ने सरकार की योजना का बंदरबांट कर सरकारी पैसों का जमकर दुरूपयोग करने से अधिक कुछ दिखाई नहीं दे रहा है सरकार की डेडलाइन 2024 होने के बावजूद बड़े अधिकारियों में योजना को लेकर कोई रुचि नहीं देखी जा रही है सरकार की योजनाओं का सही क्रियान्वयन अधिकारी करने की बजाय अपनी जेब भरने में पूरा ध्यान दे रहे है मंडला जिले में लगभग सभी जनपदों की पंचायतों में काम तो तामझाम के साथ शुरू किया गया लेकिन मैदानी स्तर पर काम आधा अधूरा गुणवत्ता विहीन देखने मिल रहा है जनपद पंचायत बिछिया की अनेक ग्राम पंचायतों में योजना का काम कछुआ चाल से चल रहा है इसी जनपद क्षेत्र अंतर्गत बात लफरा ग्राम पंचायत के संबंध की जाये तो यहाँ 2021-22 से योजना का काम शुरू हुआ जो आज दिनांक तक आधा अधूरा है एक वर्ष से अधिक समय से ठेकेदार मैदान से गायब है विभाग भी सुध लेने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा है काम जो कुछ हुआ वह भी गुणवत्ता में खरा नहीं है पीएचई विभाग और एजेंसी भारत सरकार व्दारा रखे गए लक्ष्य 2024 में क्या 2030 तक हो पाना संभव नहीं होगा कई बार अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी काम जहाँ की तहाँ विगत एक वर्ष से रुका हुआ है जिसका खामियाजा गाँव की जनता को उठाना पड़ रहा है लोगों को पीने के पानी की कमी से गर्मी हो या बारिश तरसना पड़ रहा है शीघ्र काम पूरा करने की मांग जनता समय समय पर उठाती रहती है फिर भी संबंधित विभाग सोया हुआ है काम में गति नहीं आने की स्थिति में ग्रमीणों को भारी परेशानी उठानी पड रही है