आदिवासी योजनाओं में भ्रष्टाचार: सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला पर गंभीर आरोप, जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने की शिकायत, डीएम ने दिए जांच के आदेश

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डिंडोरी। आदिवासी कल्याण योजनाओं में भ्रष्टाचार को लेकर सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं। जिला पंचायत उपाध्यक्ष अंजू ब्यौहार ने सरकारी राशि के गबन और अनियमितताओं को लेकर प्रशासन को लिखित शिकायत सौंपी, जिसके बाद कलेक्टर नेहा मारव्या ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं।

भ्रष्टाचार के आरोप और जांच के आदेश
शिकायत के अनुसार, संतोष शुक्ला के कार्यकाल में शिक्षा विभाग और छात्रावासों में सरकारी धन के दुरुपयोग की घटनाएं सामने आई हैं। आरोप है कि छात्रावास मरम्मत, सामग्री खरीदी, स्मार्ट क्लास, खेल सामग्री और अन्य निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताएँ की गई हैं। इसी को लेकर जिला प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसमें अपर कलेक्टर सुनील शुक्ला, कार्यपालन यंत्री दीपक आर्मो और जिला कोषालय अधिकारी दुर्गेश नंदन हजारिया शामिल हैं। समिति को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

संतोष शुक्ला पर लगे हैं पहले भी आरोप
सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। बताया जाता है कि उनके कार्यकाल में जिले में सरकारी योजनाओं में अनियमितता बढ़ी है, जिससे आदिवासी समुदायों को उनके हक से वंचित होना पड़ा है।

लोकायुक्त की पिछली छापेमारी के बाद भी संतोष शुक्ला की संदिग्ध गतिविधियाँ जारी रहीं। आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों और करीबी ठेकेदारों के माध्यम से करोड़ों की हेराफेरी की। खेल सामग्री सप्लाई घोटाले में भी उनके खिलाफ शिकायतें सामने आई हैं, जिसमें घटिया गुणवत्ता की सामग्री जबरन स्कूलों में वितरित कराई गई।

जिले में बढ़ा जनाक्रोश, शिक्षा व्यवस्था पर भी उठे सवाल
शिक्षा समिति के निरीक्षण में सामने आया कि 2022-23 में किए गए मरम्मत कार्यों में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ। कई स्कूलों की छतें टपक रही हैं, दीवारों में दरारें पड़ गई हैं और प्लास्टर उखड़ चुका है। स्थानीय स्तर पर जनता में रोष है कि आखिर कब तक सहायक आयुक्त पर लगे आरोपों की सिर्फ जांच होगी और ठोस कार्रवाई नहीं होगी?

अब क्या होगा आगे?
अब सवाल यह उठता है कि क्या जांच समिति निष्पक्ष रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? आदिवासी समाज और क्षेत्र के जागरूक नागरिक अब प्रशासन से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

 

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