समरसा पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट नैनपुर में मूल दस्तावेज वापस नहीं करना संदेह के घेरे में दस्तावेज मांगे तो प्रबधन ने कर दी झूठी शिकायत

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रेवांचल टाईम्स – मंडला जिले के नैनपुर में संचालित समरसा पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट में छात्राओ के भविष्य से प्रबंधन कर रहा है। खिलवाड़ प्रशिक्षित शिक्षक पढ़ा रहे है। मेडिकल की पढ़ाई

शिक्षा विभाग के अधिकारी को भी हो चुकी हैं। लिखित शिकायत मगर कार्यवाही नही होना बड़ा सवाल खड़ा करती है।

समरसा पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट नैनपुर में
पूर्व की प्रदेश सरकार ने शिक्षा में जमकर बेटी बचाओ मे बेटी पढाओ का नारा दिया था। मगर उस नारा की हवा कहो या जिले के अधिकारियों और समरसा पैरामेडिकल कालेज नैनपुर के द्वारा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर हवा निकल दी है। वही दूसरी तरफ आदिवासी जिले मे छात्राओ के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। वही कालेज में क्या पढ़ाई होती है। उसके प्राचार्य कोन है। कोन शिक्षक है। उनकी कितनी योग्यता क्या किसी को नही पता है। पैरा मेडिकल की पढ़ाई कर रही छात्रा ही शिक्षक बन गई है। ये गोपनीय सूत्रों से जानकारी मिली है। वही नैनपुर नगर के ग्राम निवारी मे संचालित पैरामेडिकल कालेज मे नियमों की सरेआम नियमों की धज्जिया उड़ाई जा रही है। जबकि समरसा पैरा मेडिकल नैनपुर जो कि मध्यप्रदेश शासन चिकित्सा एवं मध्य प्रदेश शासन भोपाल से मान्यता प्राप्त संस्था है। वही कालेज प्रबंधन के द्वारा कालेज संचालन का बोर्ड नही लगाया गया है। जिससे साफ होता है। कालेज प्रबंधन गोपनीयत से कालेज का संचालन क्यों कर रहा है। जोकि आपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है।

सूचना के अधिकार अधिनियम में जानकारी नहीं देता कालेज प्रबंधन

वही जानकारी के अनुसार समरसा पैरा मेडिकल कालेज और उसके प्रबंधक नियम कानून की खुलके धज्जियां उड़ाई जा रही है। और सूचना के अधिकार में कोई जानकारी की मांग की जाती है। तो आवेदन लेने से मना कर दिया जाता है। जब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मिडिया प्रभारी संजय कुमरे द्वारा कालेज प्रबधन से सूचना के अधिकार अधिनयम के तहत जानकारी मागी गई तो कालेज प्रबंधन के द्वारा R. T.I का आवेदन लेने से मना कर दिया गया जिससे साफ होता है। नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। ऐसे में सवाल यह उडता है। की समरसा पैरामेडिकल ट्रस्ट से संचालित है। जिससे जानकारी नहीं देना बड़े सवाल खड़ा करता है।

कॉलेज प्रबंधन छात्र/छात्राओं से स्कॉलर के बदले देता है। प्रवेश

छात्राओ के साथ साथ सूत्रों का कहना यह भी है। कि कालेज प्रबंधन शासन की तय सीमा से अधिक फीस राशि ले रहा है। छात्राओ से फीस के बदले खाली चैक जमा करवा लिया जाता है। और वही जब 45500 स्कॉलर आती है। तो छात्राओ के हस्ताक्षर करवा राशि का आहरण कर लिया जाता है। अगर फीस की जानकारी मागती तो चुप रहने के लिऐ कहा जाता है। ऐसे मे सवाल खड़ा होता है। कि समरस पैरामेडिकल कालेज मन मुताबिक फीस और शासन के नियमों को ताक में रखकर काम किया जा रहा है। क्योंकि कालेज प्रबंधन जनता है। की आदिवासी क्षेत्रो मे कोई जांच नही होती है। इसलिए कालेज प्रबंधन अपनी मन मानी कर रहा है। वही जब छात्रा ने नैनपुर पुलिस को लिखित शिकायत दी तो प्रबाधन के प्राचार्य ने झूठी और मनघनता कहानी बना नैनपुर थाना को आवेदन किया गया है। जिससे साफ होता है। प्रबधन छात्रों के भविष्य से किस तरह खिलवाड़ कर रहा है । वही प्रशासन क्या कार्यवाही करता है। सवाल बनाता जा रहा है।

इनका कहना है।

वही मेरे द्वारा समरसा पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट नैनपुर में मूल दस्तावेज जमा किया गया था। और खाली 6 चैक भी जमा किया गया था। मेरे द्वारा मूल दस्तावेज की माग की गई तो उनके द्वारा मेरे परिवार के सदस्य के खिलाफ झूठी शिकायत का आवेदन नैनपुर थाना में दिया गया।
आशिका शिवेदी
छात्रा समरसा पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट नैनपुर

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