कुर्मी विकास संगठन समाज का कुप्रथाओं पर कुठाराघात.. सामाजिक बुराइयों के विरोध में समाज की महिलाओं ने सम्हाला मोर्चा…
दैनिक रेवांचल टाइम्स – मंडला आदिवासी बाहुल्य जिला जो अपने पिछड़ेपन और सामाजिक कुरुतियों के लिए जाना जाता है। परंतु अब समय है बदलाव का जिले में बहुत से ऐसे समाज हे और समाज में निवासरत लोग जो सामाजिक कुरूतीयों का दबे जुबान विरोध तो जताते हे, परंतु खुल कर इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने में संकोच करते है। संकोच इसलिए भी कही कुप्रथाओं के विरोध में आवाज उठाने वालों को समाज के ही अन्य लोगों से बहिष्कार का सामना न करना पड़ जाए। परंतु अब समय है बदलाव का इसी कथन को जमीनी हकीकत में उतारने के लिए कुर्मी विकास संगठन समाज की महिलाओं ने बीड़ा उठाया हैं जहां पर समाज की बहुत सी समझदार महिलाओं ने एक मत होते हुए परदे से बाहर आकर और चार दिवारी को लांघ कर समाज में व्याप्त कुप्रथाओं के विरोध में एक शुर मिलाते हुए बम्हनी बंजर के समीपस्थ ग्राम सिलगी (खारी) गांव में कुर्मी विकास संगठन की सामाजिक बैठक रखी गई और समाज में व्याप्त बुराइयों को लेकर आपस में चर्चा कर समाज को एकत्रित कर अन्य परिवार के पुरुषों और महिलाओं को मृत भोज और अन्य कार्यक्रमों में होने वाले अनाप शनाप खर्चों और बहुत सी कुरीतियों को लेकर जागरूक करने की ठानी है।
जिसमें समाज की महिलाओं ने सामाजिक बैठक करके समाज के अन्य पुरुषों को भी आमंत्रित कर बैठक में शामिल होने का आग्रह किया और खुल कर अपनी अपनी-अपनी बात रखने को कहा जिसमें कुर्मी विकास संगठन समाज के अध्यक्ष सीबी पटेल जी और समाज के अनुभवी बुजुर्ग श्री राजाराम जी पटेल, श्री महेश पटेल ओम प्रकाश पटेल, श्री सुरेन्द्र पटेल, रेवाराम जी पटेल वा समाज के अन्य शिक्षितों के सामने सभी महिलाओं ने क्रमशः अपनी अपनी बातों को रखते हुए समाज में सदियों से चली आ रही सामाजिक कुरीतियां जो वर्तमान समय में सभी के दिलों दिमाग में जड़ कर गई हे। इन सब को कैसे समाज से और प्रत्येक घरों से दूर रखा जा सकें। इन सब बातों को लेकर के विस्तार से समाजिक बैठक में चर्चा के दौरान बातें रखी गई।
समाज की एक महिला ने मृत भोज के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए बतलाया की हिंदू धर्म में सोलह (16) ही संस्कार हैं तो वही अंतिम और 16वा संस्कार अंतेष्टि हैं।जब 17वा संस्कार बनाया ही नहीं गया तो फिर तेरहवीं का भोज कहा से आ गया। किसी भी धार्मिक ग्रंथ में मृत्यु भोज का विधान नहीं है।महाभारत के अनुशासन पर्व में भी लिखा है की मृत्यु भोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है। भगवान श्री कृष्ण ने मृत भोज को लेकर विस्तार से समझाया हैं। की एक दुःखी परिवार के यहां कभी भी भोज नहीं करना चाहिए। दुर्योधन के द्वारा भगवान श्री कृष्ण से भोजन करने के आग्रह पर कृष्ण ने कहा
” *संप्रिति भोज्यानी आपदा भोज्यानि वा पुनै:”
अर्थात जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो और खाने वाले का मन प्रसन्न हो तभी भोजन करना चाहिए अन्यथा नहीं।अब विचारणीय यह हे की मरने के बाद किस परिवार वालों की आत्मा प्रसन्न होगी.??
समाज की एकत्रित सभी महिलाओं और पुरुषों ने इस बात से सहमत होते हुए प्रण लेते हुए आश्वाशन लिया गया की धीरे-धीरे ही सही पर समाज के सभी समझदार लोगों को आगे आकर और एक जुट होते हुए मृत भोज को सामूहिक रूप से हर हाल में खत्म करना ही होगा। साथ ही समाज में सभी वर्ग के लोगों को सामाजिक कार्यक्रमों को वृहद रूप से न करते हुए सुविधानुसार छोटे रूप में और कम से कम खर्च करने की आज सभी को अति आवश्यकता हैं।
कुर्मी विकास संगठन के अध्यक्ष भाई सीबी पटेल जी ने समाज के सभी भाई, बहन और बेटियों से निवेदन करते हुए समाज से जुड़ने का आव्हान किया साथ ही सभी उम्र वर्ग के बेटा- बेटियों और युवा वर्ग से अपील करते हुए निवेदन किया की आप सब भी सामाजिक बैठकों में जायदा से जायदा अपना योगदान देवें और समाज के हित में अपने नए- नए विचार रखें और समाज के हित में बड़ चढ़ कर हिस्सा जरूर लेवें। साथ ही आगामी 31 अक्टूबर को सरदार पटेल जी की जयंती के उपलक्ष में सरदार पटेल जी के सम्मान में समाज को एकत्रित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने का आग्रह किया। बैठक के अंतिम अवसर पर कुर्मी विकास संगठन कार्यकारिणी का भी गठन किया गया।
जिसमें, ग्राम सिलगी से युवा अध्यक्ष सिद्धार्थ पटेल, उपाध्यक्ष अभिषेक पटेल, उपाध्यक्ष यश पटेल, सचिव हर्षित पटेल, सह सचिव आदर्श पटेल, कोषाध्यक्ष अतुल पटेल, और महिला संगठन में सिलगी से अध्यक्ष श्रीमती मधु पटेल उपाध्यक्षएवं कार्यकारिणी गठित की गई।